शुक्रवार, सितंबर 11, 2020

हिंदी भाषा: देवीदीन



हिन्दी भाषा 

प्रस्तावना-हर देश का कोई न कोई राष्ट्र भाषा होती है। एवं राष्ट्र भाषा होना अति आवश्यक है। जिससे अपनी संस्कृति, परम्परा, गौरव को एक डोरी में व्यवस्थित रखे, किसी भी राष्ट्र की भाषा जीवित प्राणियों को भाव प्रकाशन का एक साधन है। मानव जिसकी सहायता से अपने भावो तथा विचारों को व्यक्त करता है, अदान-प्रदान करता है, उसको भाषा कहते हैं। किसी भी राष्ट्र की भाषा उसकी संस्कृति विरासत को चिन्हित करता है। हमारे देश की राष्ट्र भाषा हिन्दी है। जो सम्पूर्ण विश्व मे राष्ट्र भाषा के रुप में लोक प्रिय है 

हिन्दी भाषा का विकास 

हिन्दी नाम से आज जिस बोली समूह का बोध होता है उसमे 1000 वर्ष से उपयोग में आ रही, बिहार से राजस्थान और हिमांचल प्रदेश, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तक के विशाल क्षेत्र में बोली जाने वाले अनेक उप भाषा तथा बोली शामिल है। 

हिन्दी भाषा का विकास जब देश स्वतंत्र नही हुआ था। उसी समय से मानते है कि  हिन्दी भाषा व उर्दू मिश्रण रहा। 

जिसमे हिन्दी भाषा का विकास पूर्ण रूप से रुका हुआ था। उर्दू भाषा का प्रचलन सर्वाधिक रहा। इसके पश्चात हमारा देश स्वतंत्र हो गया। 1950 में सविंधान का गठन हुआ हिन्दी भाषा को संविधान में 14 सितम्बर 1953 को हिन्दी को संघ के राज भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ। 

भारतीय अनुच्छेद 343 में रखा गया। उस दिन से 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के रुप में मनाते चले आ रहे हैं। 

      हिन्दी भाषा का वर्तमान स्वरुप

भारत में हिन्दी भाषा का सर्वाधिक लोक प्रिय है, क्योकि भारत को बहुभाषी कहा गया है। भारत देश में सर्वाधिक हिन्दी का प्रयोग करते है। जब यह देखा गया कि विश्व में हिन्दी भाषा बोलने वालो की संख्या 52/रहे तो हिन्दी को राष्ट्र भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ। जो अब तक निरंतर बना है। भारत में जन्म लेकर अन्य भाषा जैसे अंग्रेजी का सर्वाधिक प्रयोग करते हैं, ये उनकी भूल है क्योकि जिस देश का अन्न-जल ग्रहण करते हैं उस देश के आन-बान, सान मेंकिसी प्रकार के ठेस नहीं पहुँचना चाहिए। क्योकि हम हिन्दू, हिन्दी, हिन्दुस्तान में है। 

            उपसंहार 

किसी भी देश के राष्ट्र भाषा उस देश की गौरव का प्रतीक होता है। हिन्दी भारत का राष्ट्र भाषा है जो एक साथ में संस्कृति एवं समृध्दि को पिरोया है। हमे गर्व करना चाहिए कि हिन्दुस्तान में जन्म लेकर हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार में तन मन से जन-जन तक पहुँचाये ।

          जय हिन्द जय भारत 

           शीर्षक-राष्ट्र भाषा हिन्दी 

                    निबंध 

            देबीदीन चन्द़वँशी 

              तह0 पुष्पराजगढ़ 

             जिला - अनूपपुर 

                   म0प्र0

        मो0 8819059964

         अतिथि शिक्षक 

              घोषणा पत्र 

मै घोषणा करता हूँ कि देबीदीन चन्द़वँशी मेरा यह रचना मौलिक, अप्रकाशित एवंअप्रसारित है। किसी प्रकार के परेशानी आती है तो रचनाकार स्वयं जिम्मेदार होगा। 

उद्देश्य -भारत के राष्ट्र भाषा हिन्दी है। हिन्दी भाषा के महत्व के बारे में निबंध के रूप में प्रस्तुत किया हूँ। 

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