शुक्रवार, सितंबर 18, 2020

स्त्री (नारी) दोहे: राम सहोदर


स्त्री (नारी) दोहे

नारी तू अर्धांगनी कई तुम्हारा रूप।
माँ, बेटी है बहन तू, ममता का प्रतिरूप।।
बहू बने ससुराल की, बेटी बन पितु-मात।
पत्नी बन पतिदेव की, सेवत है दिनरात।।
सुत जन्मा जननी बनी, सहे प्रसव आघात।
दुःख-सुख सह संतान को, पाले ताम्बुल पात।। 
सदन दोउ रोशन करे, मैका- ससुरा गेह। 
सास-ससुर, माता- पिता करे सभी से नेह।। 
घर में है गृह लक्ष्मी, रन में चंडी जान। 
भक्ति में मीरा बनी, पतिब्रत सीता मान।।
नारी प्रेम खदान है, देवी के समरूप।
प्रेममयी घर को रखे, करे स्वर्ग  अनुरूप।
करो मान सम्मान यदि, जीवन सुखमय देत। 
अगर किया अपमान तो जीवन को हर लेत।। 
अक्षम इसे समझने की, कीन्ही यदि यूं भूल।
फिर तो तू मिट जाएगा, रावण के अनुकूल।। 
नारी यदि खुश हो गयी, देव सभी खुश होय। 
स्वर्ग सा सुन्दर घर बसे, दूर विपत्ति सब होय।। 
किसी क्षेत्र में कम नहीं, इनकी गणना होय।
पुरुषों से आगे सदा, क्षमता साहस दोय।।
इनके बिन संसार में, होवे न कोई काम। 
पुरुष न हो नारी बिना, न जग न कोइ धाम।। 
सकल चराचर की जननि , मादा से नर होय। 
कहत सहोदर सुन सखा, पूजनीय यह होय।।
रचना: राम सहोदर पटेल, शिक्षक
शासकीय हाईस्कूल, नगनौड़ी, तहसील-जयसिंहनगर जिला शहडोल (मध्यप्रदेश) 
निवास ग्राम-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल(मध्यप्रदेश)
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