रविवार, जुलाई 04, 2021

पौधारोपण से प्रेम: राम सहोदर पटेल



पौधारोपण से  प्रेम

क्या नेह बढ़ाना उचित नहीं, जो गले लगता है तुझको।

निज स्वारथ की परवाह न कर जो, पोषण करता है तुझको

धूप ताप सहकरके जो, छाँव मधुर देता तुझको।

कष्ट अनेकों सहकर जो, प्यार अगम देता है तुझको॥

ज्यों सहती माता है विपदा, निज लालन के परिपालन पर।

त्यों पौधा विपदा सहकरके, आराम सकल देता तुझको॥

आरी, टांगी का वार सहे पर, संताप नहीं देता तुझको।

पत्थर तुझसे खाकर भी, फल मीठा देता है तुझको॥

उसको तुझसे कुछ चाह नहीं, सब वह ही देता है तुझको।

तेरे जीवन का कण-कण, संचारित  करता है तुझको॥

निज जीवन का क्षण-क्षण, बलिहारी करता है तुझको।

तू निर्मम आचार करे, वह सदाचार देता है तुझको॥

तू काट हवन करता इसको, निज स्वारथ की बलि वेदी पर।

तेरे छज्जे की बल्ली बन, विश्राम मधुर देता है तुझको॥

पौधारोपण से रहे दूर क्यों न पौधा काटे गिन-गिन के।

वह मेघ बुला वर्षा करता, दे उल्लास भरे जीवन तुझको॥

नन्हीं सी आवश्यकता के हित, दरख्त पेंड मिटाता तू।

वह प्राण वायु आरक्षण दे, निष्कंटक जीवन दे तुझको॥

भीषण ग्रीष्म से तपकर जब, हो जलाभाव जल आलय पर।

निज सीने में संचित जल से,  जलापूर्ति करता तुझको॥

पर्यावरण सुरक्षा हित तत्पर रहता है निशदिन।

रोपित कर इससे प्रेम बढ़ा, ईंधन दे, पोषण दे तुझको॥

साज श्रृंगार रखे धरणी, करता कुसुमित निज कुसुमों से।

औषधि, फल-फूल अनेकन दे, भरपूर समर्पण दे तुझको॥

 फर्नीचर से दरवाजों तक, यह सदन सफल श्रृंगार करे।

जीवन तक आश्रय देता नित, मरने पर गोदी दे तुझको॥

भाव सहोदर रख इससे, मैत्री भाव बना ले तू।

यह है तेरा जीवन साथी, हर मंगल हर क्षण दे तुझको॥

यह है तेरा जीवन साथी, हर मंगल हर क्षण दे तुझको॥

रचना:

राम सहोदर पटेल,

ग्राम-सनौसी, तह.-जयसिंहनगर, थाना-ब्योहारी, जिला-शहडोल

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प्रकृति और मानव :राम सहोदर

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