रविवार, जुलाई 04, 2021

वाणी (दोहा): मनोज कुमार चंद्रवंशी की कविता

वाणी (दोहा) 

ऐसी  वाणी  बोलिए,   जिसमें  होय मिठास।
सुनकर मधुरस सम लगे,आवे जिमे मिठास॥

वाणी रम्य आभूषण,    वाणी  है   अनमोल।
सबको  मनभावन  लगे,  ऐसी  वाणी बोल॥

सुडौल  वाणी बोलिए,  वाणी महिम अपार।
वाणी से झलकन लगे,  सदा सद् व्यवहार॥

वाणी  ही  श्रृंगार  है,   वाणी  औषधि मूल।
वाणी  से बन जाए,   ये  जीवन  अनुकूल॥

वाणी  जीवन मंत्र है,  सदा  दिलाता  मान।
कर्कश वाणी कटु लगे,मिले सदाअपमान॥

कोयल कूकत डार में,  करती कुहू पुकार।
काका वाणी कटु लगे,करते सभी दुत्कार॥

ऐसी वाणी बोलिए, खुशियाँ  मिले अपार।
मीठी वाणी मधु लगे, हो  वाणी   में सार॥

वाणी तन शोभित करे, वाणी है परिधान।
बदन झलके वाणी से,  वाणी है पहचान॥
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                         रचना:
               स्वरचित एवं मौलिक
              मनोज चन्द्रवंशी "मौन"
       बेलगवाँ जिला अनूपपुर मध्यप्रदेश 

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