रविवार, अक्टूबर 27, 2019

दीपों की झिलमिल रोशनी:अंजली सिंह की कविता



दीपों की झिलमिल रोशनी

अंजली सिंह

जहां दीपों की झिलमिल रोशनी हो, 
जहां गोबर से लीपित द्वार और आंगन हो,
जहां फसलों से सजे खेत, खलिहान हों,
 जहां रोशनी से सजे घर और आंगन हों।

जहां गायों के गले में घंटी की सुमधुर आवाज हो,
जहां खेतों में धान और बाजरे की  फसलों की खुशबू हो,
जहां मंदिरों से आती राम नाम की आवाजें हो,
जहां राम के अयोध्या लौटने के उत्सव की खुशी हो,
जहां नव वस्त्र धारण कर लक्ष्मी पूजन की खुशी हो,
जहां अमावस के घने अंधेरों में रोशनी का संदेश हो,
जहां कृषि औजारों औरधन धान्य की पूजा हो,
जहां हर किसी के लिए प्रेम और समृद्धि की कामना हो।

जहां बरसात के बाद मौसम बदलने की खुशी हो,
जहां  नूतन बही खाते की शुरुआत हो,
जहां मंगल कार्य सर्वत्र प्रारम्भ हो जाते हों,
जहां  रचनात्मक कार्य होने लगते हों,
जहां प्रकृति आरोग्य का मौसम तैयार कर देती हो,
जहां हर गरीब और अमीर के मन में उल्लास हो।
ऐसे दीपोत्सव की सब को बधाई हो।

*शुभ दीपोत्सव* 🙏🙏 
रचनाकार:श्रीमती अंजली सिंह 
(राज्यपाल पुरस्कार प्राप्त, 2018)
     उच्च माध्यमिक शिक्षक
 शास. उ. मा. विद्यालय भाद
   जिला-अनुपपुर (मध्यप्रदेश)

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8 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" शनिवार 14 नवम्बर 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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