प्रकृति का
उपहार
प्रकृति ने मानव को दिया,
शोभित अनुपम उपहार।
जल थल और नभ जीवों से,
करें सुगम-कुशल व्यवहार॥
प्रकृति की देन है पानी ,
पवन,पर्वत और पठार ।
प्राकृतिक और सांस्कृतिक,
पर्यावरण के दोनों प्रकार॥
जहां प्रकृति की बची धरोहर,
वह मूल्यवान कहलाता है।
खाद्य,खनिज और खेत जहां,
वह धनवान कहलाता है॥
वृक्षों की जहां पूजा होती,
शास्त्रों में वह संज्ञान है।
प्रकृति की संरक्षण करना,
शासन का प्रावधान है॥
पावन पीपल की छाया में,
मिला बुद्ध को ज्ञान जहां।
'चिपकोआंदोलन' में नारी,
दी वृक्षों को जान यहाँ॥
उष्ण-शीतलता भी देती है,
जो तापमान कहलाता है।
शशि-सूर्य;नवग्रह,तारागण,
वो आसमान कहलाता है॥
गंगा,गंडक,कोसी-घाघरा,
जो सहज रूप में बहती है।
जल ,जंगल और जीव जहां ,
प्रकृति प्रफुल्लित रहती है॥
रचना-डी.ए.प्रकाश खांडे
शासकीय कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़ जिला अनुपपुर मध्यप्रदेश मो 9111819182
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