गुरुवार, जून 04, 2020

पर्यावरण पर कुछ दोहे: राम सहोदर

पर्यावरण पर कुछ दोहे:

सांसारिक रचना सभी, युक्त संगत ही होय।
ये रचना तेरे लिए, कर उपभोग संजोय॥

धरती के उपमान सब, करे भलाई तोर।
मित्र समझ कर आपनो, दिल से नाता जोड़॥

कार्य करे तेरे लिए, अर्हिनिशा उपमान।
भला करे तेरा सभी, तू भी अपना मान॥

प्रकृति सुरक्षा गार्ड है, प्रकृति है पालनहार।
प्रकृति संजीवनी है तेरा, प्रकृति है जगदाधार॥

प्रकृति जना तेरे लिए, तेरे हित की सोच।
तू भी इनसे प्रेम कर, इनकी जान न नोंच॥

जनसंख्या की वृद्धि में, नहीं लगाई रोक।
मर्यादा देखा नहीं, प्रकृति दीन्हा झोंक॥

वृक्ष हमारे मित्र हैं, वृक्ष हमारी जान।
वृक्षों की रक्षा करें, पर्यावरणी शान॥

पर्यावरण को स्वच्छ रख, कर न संतुलन भंग।
पर्यावरण का मनुष्य से, है गहरा संबंध॥

जल नहीं तो कुछ नहीं, ना सुरभी  ना  फूल।
जल प्रदूषित करने का, मत करना तू भूल॥

जल प्रदूषित यदि हुआ, तो वायु प्रदूषित होय।
श्वास लेत दूभर भयो, जीवन बचे न कोय॥

क्षण भर भी दुर्गन्ध में, टिक न पावे श्वास।
झटपट झट प्राणी करे, मिटे जीव की आश॥

म्ृादा प्रदूषित यदि हुआ, उत्पादन घट जाय।
कृषि भूमि बंजर हुआ, अन्न नहीं मिल पाय॥

भूमिक्षरण को रोकना, है आवश्यक जान।
खेत बना सीढ़ीनुमा, रोको भूमि कटान॥

प्लास्टिक पन्नी घात हैं, शीशी, बोतल कांच।
कप, थाली औ डिस्पोजल, रहियो इनसे बांच॥

ध्वनि प्रदूषण यदि हुआ, तो दिमाग चकराय।
रक्तचाप की वृद्धि हो, स्मरणशक्ति घट जाय॥

मानसिक रोग सिर दरद, कान दरद भी होय।
घ्वनि प्रदूषण कारणें, जी घबराहट होय॥

वक्त अभी है सोच ले, पर्यावरण को मान।
प्रकृति सहोदर मानकर, निज हित पर रख ध्यान॥
रचनाकार:
राम सहोदर पटेल,एम.ए.(हिन्दी,इतिहास)
स.शिक्षक, शासकीय हाई स्कूल नगनौड़ी

गृह निवास-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल(मध्यप्रदेश)
[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली

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