मत काट मुझे
हे! मनुज मत काट मुझे,
मुझे भी कसक होता है।
इस निर्ममता की वेदना से,
मेरा हृदय भी रोता है॥
मत काट मुझे।
मैं वारिद को आकृष्ट कर,
वसुधा में पावस लाता हूँ।
धरा का तपन हर कर,
चराचर को आह्लादित करता हूँ॥
मत काट मुझे।
मैं चारू सुमन सरस फल देकर,
मैं किसी से कुछ नहीं लेता हूँ।
महि के प्राणी जीवन को,
निज गोद में आश्रय देता हूँ॥
मत काट मुझे।
मैं इस धरती का श्रृंगार हूँ,
सब जीव धारियों का आधार हूँ।
मैं मधुप का रसपान हूँ,
विहग के कलरव तान हूँ॥
मत काट मुझे।
सकल जग को प्रमुदित करता हूँ,
धरा में हरीतिमा लाता हूँ।
अवनी से अंबर तक,
मंद, सुगंध प्राणवायु बहाता हूँ॥
मत काट मुझे।
प्रदूषण को अवशोषित कर,
पर्यावरण को संतुलित बनाता हूँ।
मृदा अपरदन को रोककर,
मैं जग में पादप कहलाता हूँ॥
मत काट मुझे।
रचना
मनोज कुमार चंद्रवंशी
(शिक्षक) ग्राम बेलगवाँ
विकासखंड पुष्पराजगढ़
जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
हे! मनुज मत काट मुझे,
मुझे भी कसक होता है।
इस निर्ममता की वेदना से,
मेरा हृदय भी रोता है॥
मत काट मुझे।
मैं वारिद को आकृष्ट कर,
वसुधा में पावस लाता हूँ।
धरा का तपन हर कर,
चराचर को आह्लादित करता हूँ॥
मत काट मुझे।
मैं चारू सुमन सरस फल देकर,
मैं किसी से कुछ नहीं लेता हूँ।
महि के प्राणी जीवन को,
निज गोद में आश्रय देता हूँ॥
मत काट मुझे।
मैं इस धरती का श्रृंगार हूँ,
सब जीव धारियों का आधार हूँ।
मैं मधुप का रसपान हूँ,
विहग के कलरव तान हूँ॥
मत काट मुझे।
सकल जग को प्रमुदित करता हूँ,
धरा में हरीतिमा लाता हूँ।
अवनी से अंबर तक,
मंद, सुगंध प्राणवायु बहाता हूँ॥
मत काट मुझे।
प्रदूषण को अवशोषित कर,
पर्यावरण को संतुलित बनाता हूँ।
मृदा अपरदन को रोककर,
मैं जग में पादप कहलाता हूँ॥
मत काट मुझे।
रचना
मनोज कुमार चंद्रवंशी
(शिक्षक) ग्राम बेलगवाँ
विकासखंड पुष्पराजगढ़
जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
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