नैतिक गुण
नैतिक गुण जब तक हरमानव न अपनाएगा।
जगत में भारी मुसीबत
मानव पतन की ओर जाएगा॥
नैतिक शिक्षा ग्रहण कर
सत की राह अपनाएगा।
जग में एक नया प्रकाश
मानव पतन से बच पाएगा॥
नैतिक शिक्षा ग्रहण कर......
जग के संचालन का यह
मूल तत्व ही नैतिक है।
जिसको सीमित न कर
आगे लाना ही उचित है॥
चिर निद्रा से जाग जाएगा
जग में एक नया प्रकाश।
मानव पतन से बच पाएगा॥
नैतिक शिक्षा ग्रहण कर......
काम, क्रोध, मद लोभ त्याग,
सत्य मार्ग का पथ अपनाएगा।
इंद्रियों को वश में करके,
जीवन में सफल हो जाएगा॥
हजारों सुख मिल पाएगा,
जग में एक नया प्रकाश।
मानव पतन से बच पाएगा॥
नैतिक शिक्षा ग्रहण कर......
सत्व रजस तमस गुणों से,
मानव का सृजन हुआ।
सत्व गुण को ही अपनाना,
मानो भव से बेड़ा पार हुआ॥
सत्व गुण ही सफल बनाएगा,
जग में एक नया प्रकाश,
मानव पतन से बच पाएगा॥
नैतिक शिक्षा ग्रहण कर......
तीनों गुणों का संतुलन बना,
मानव को आगे चलना होगा।
संतुलन बनाकर नहीं चलेंगे,
समस्या कभी हल नहीं होगा॥
संतुलन पतवार बन जाएगा,
जग में एक नया प्रकाश ।
मानव पतन से बच पाएगा॥
नैतिक शिक्षा ग्रहण कर......
युग परिवर्तन करने में यहां,
सत्वगुण की भूमिका होगी।
नया मनमोहक दृश्य दिखे,
नई किरणों की आभा होगी॥
अमृत की धारा को बहाएगा,
जग में एक नया प्रकाश।
मानव पतन से बच पाएगा॥
नैतिक शिक्षा ग्रहण कर...........
रचना: रमेश प्रसाद पटेल, माध्यमिक शिक्षक
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