सोमवार, सितंबर 02, 2019

तीज का नज़राना:अंजली सिंह


तीज का नज़राना  
अंजली सिंह
भूख नहीं है ,प्यास नहीं है,
यह सच है ,बस आश यही है।


तू मेरे हर जनम का साथी,
यह सच्चा एहसास यही है।


तेरे कदमों की आहट से,
मेरे अंतर्मन के पट खुल जाते।।


आनंदित होकर ह्रदय-कली,
खिलकर पूरी कुसुम हुई।।


जीवन- रथ के हम दोनों पहिये,
मिलकर यूं ही साथ चलें ।।


मैं वनिता हूं पिया तुम्हारी,
आज सजा दो मांग मेरी।।


पुलकित हो जाए मेरे मन का कोना,
नहीं चाहिए चांदी सोना।।


मेरे मन मंदिर के तुम मूरत,
प्रिय के हिय में हो मेरी सूरत।


आज दे दो तुम यह नज़राना
मेरे प्रियतम सुनो...


इस विशाल जगत के
जीवन रण में ,


मुझे अकेला छोड़ न जाना,
मुझे अकेला छोड़ न जाना ।।


रचना:

उच्च मा.शि.
शा उ मा वि भाद
जिला-अनुपपुर 
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3 टिप्‍पणियां:

  1. समर्पण भाव से रहते हैं व्रत हरतालिका
    पावन पुनीत सम्बंद्धो की साक्षी है हरतालिका।
    जगत रूपी उपवन के द्वय सुरभित पुष्प ।
    सौरभ विखेरते प्रणय स्वरूपी द्वय पुष्प ।
    आशा विश्वास आकांक्षा से आलोकित सम्बन्द्ध ।
    सदा सर्वदा सुख शान्ति से आवेष्ठित रहे सम्बन्द्ध।
    भले तन हैं दो पर आत्मा है एक ।
    सुख वेदना के पलों में है एक।
    मन की लहरे भावनाओ को समझती ।
    जो प्रणय के भावों को ब्यक्त करती।
    प्रणय सम्बंद्धो की कथा है पुराणों की वाणी।
    जिसने सम्बंद्धो को ह्रदयंगम किया है दृगों में पानी।
    पति पत्नी से बना संसार दोनों का पावन नाता ।
    आशुतोष गौरीपति ज्यों पुनीत पत्नी पति का नाता।
    सुख दुख सम विषम परिस्थिति में रहते साथ साथ।
    पावन व्रत के सहभागी सौभाग्य विस्तार का भाव।
    जीवन साथी के प्रति नमन योग्य व्रत का पावन भाव ।नही कामना भौतिकता की नही धन की चाह।
    कितना सुंदर सुखद त्याग तपस्या का भाव।
    पुनीत स्नेह प्रणय ज्यो पवित्र सुरसरि की धारा।
    अविरल प्रवाह रहे स्नेह की शुभ सन्देश हमारा।
    हर हर महादेव हे गौरापति हे नंदी असवार।
    व्रत धारिणीयो को दिजीये सदा सुहागन का उपहार।
    विनयावनत राज है नारी रहे सदा सम्मान की पात्र।
    नारी की त्याग तपस्या से ही पुरूष बना सुपात्र।

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