मंगलवार, सितंबर 03, 2019

दोस्ती के लिए:सुरेन्द्र कुमार की रचना


दोस्ती के लिए
न शोहरत की तमन्ना है
न धन-दौलत चाहिए
राह हो मेरी कठिन तो क्या
मंजिल तुम्हें मिलना चाहिए

हवाओं ने कहा तुझको,

तू बदल-सा गया है
मैंने कहा हवाओं से
तुम्हें ही कुछ हो गया है

बदल जाएं ये सूरज-चांद तो क्या

मेरा दोस्त बदलना ना-चाहिए।
           
तू रहे सलामत सदा
बस ये ही आखिरी पैगाम हो,
भेजा करूॅगा दुआएं तुम्हें
मेरा चाहे जो अंजाम हो।

तुम तकलीफ में हो और मैं सो जाऊं

मुझसे ऐसा न गुनाह होना चाहिए

राह चलते जहां कांटा मिले,

वहां मेरा ही पांव हो।
जो सूरज की हो लाल आंखें
मेरे सिर पर धूप, तेरे सिर पर छांव हो।

जब तुम लड़ो खतरों से तो

साथ मेरा साया-सा होना चाहिए

बढ़ जाएं जो मुश्किलें

साथ-साथ चलने से कभी।
ऊब जाए जो मन तुम्हारा,
बताना मुझे उसी पल तभी।

देकर भार तुम्हें दोस्ती का

एक पल भी मुझे टिकना-ना चाहिए।

रुख बदले जमाना तो बदले

देना चाहे वो जो सजा दे
गिराना चाहे जो बिजलियां
सिर हमारे वो गिरा दे

गुनाहों का बदला वो चाहे ले-ले

मगर मेरी नजरों से तुम्हें ना-गिराना चाहिए        

सोच-समझकर सच कहना,

अब सच कहने पर पहरे बहुत हैं।
प्रीत हृदय की मन में रखना
अब सच कहने के खतरे बहुत हैं

अब खतरा तुम्हें मेरी वजह से
मोल लेना-ना चाहिए।    

रचना एवं प्रस्तुति: सुरेन्द्र कुमार पटेल 
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5 टिप्‍पणियां:

  1. सुंदर कविता।
    आपके शब्द आपकी दोस्ती का मतलब समझा रहे हैं।

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  2. धन्यवाद सतीश जी। आग्रह है कि पुनः पढ़ें, अंतिम पंक्तियों में कुछ बदलाव नजर आएगा।

    जवाब देंहटाएं
  3. क्या बात है । बहुत ही प्रभावी कविता है।दिल को छू लिए आपकी पंकितयाँ।

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