कर्मवीरों की बदनामी , निकम्मों ने ही कीन्हा है ।
ये मुठ्ठीभर निकम्मों ने विफलता हाथ दीन्हा है ।
वफादारी भी रोया है , इन्ही चोरों की मजहब से, ह
रामी कामचोरों ने प्रगति अवरुद्ध कीन्हा है ।
चुराया जी सदा है काम से न कर्जा लोन का दीन्हा।
हुए बदनाम खुद व खुद , सकल नौका डुबो दीन्हा।
इन्हीं निर्लज्ज नीचों से स्वयं लज्जा लजाया है ।
इन्ही ने लात मुक्को की धरोहर भेट लीन्हा है ।
प्रगति को बैक में डाला परिश्रम से डरे भागे ।
समय के चोर हुरदंगे , ज्ञान अधूरा कर लीन्हा ।
लगाकर ढेर कूड़ा का सफाई सीख देते हैं ,
आलस नाकामी में पड़कर गरीबी मोल ले लीन्हा ।
इन्हें न मान की चिन्ता न चिन्ता नाक कटने की ।
ओ इनका साथ देता है उन्हें बदनाम कर दीन्हा ।
अगर चाहो कि सुधरे ये तो ले बैठेंगे तुमको भी ,
अकल के उल्लू होवे ये , सकल बेकाम कर दीन्हा ।
ये पशु से भी गये गुजरे हैं चोला मानवी पाये।
धरा का बोझ बन बैठे , स्वयं पाषाण कर लीन्हा ।
स्वजन सुख - चैन छीने ये , निजी हैवान कर्मों से,
फंसा जो इनके फंदे में , उन्हे निष्काम कर दीन्हा ।
रहो बचके सदा इनसे करो सलाम पहले ही ,
निवेदन भाव दिखलाओ , तो समझे भय से कीन्हा है ।
अकड़ते हैं झगड़ते ये सदा , न नरमी चाल को जाने,
ये माने चिट को अपना ही , व पट तो अपना ही लीन्हा।
सहोदर इनसे दूरी रह , चहो अपनी भलाई जो।
मेहनत कस जनो का नाम भी बदनाम कर दीन्हा।
//रचना//
राम सहोदर पटेल
शिक्षक, ग्राम-सनौसी, थाना-ब्यौहारी जिला-शहडोल
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