वक्त
(कविता)
वक्त बड़ा बलवान है, यह तो बहुत महान है।
वक्त की धारा जो अपनाता,वहीं खरा इंसान है।।
सुख में हंसाता दुख में रुलाता, वक्त वक्त की बात है,
वक्त चक्र तो चलता रहता, वक्त सदा गतिमान है।वक्त की---।
वक्त से होता ऋतु परिवर्तन, वक्त से ही दिन रात है,
बीता वक्त बहुरि ना आता, वक्त की महिमा महान है। वक्त की-----।
बालापन यौवन बुढ़ापा,वक्त ही तो बताता है,
जीवन चक्र वक्त भरोसे, कहते सभी सुजान है। वक्त की-----।
वक्त भला है वक्त बुरा है, वक्त ये देता परिचय है,
अच्छा बुरा तो आता रहता, वक्त चक्र गतिमान है। वक्त की-----।
व्यर्थ गंवाओ नहीं वक्त को,वक्त के सब पाबंद रहो,
सद प्रयत्न परिश्रम करिए, वक्त क्षणिक मेहमान है। वक्त की-----।
वक्त बड़ा अनमोल है, इसका कोई मोल नहीं,
सदुपयोग वक्त का करिए, बन जाएंगे काम है। वक्त की-----।
वक्त सफलता की कुंजी है,वक्त पकड़ सब काम करो,
कामयाबी मिलके रहेगी, यह कहता "कुशराम" है।।
वक्त बड़ा बलवान है, यह तो बहुत महान है।
वक्त की धारा जो अपनाता, वही खरा इंसान है।।
रचनाकार-बी एस कुशराम बड़ी तुम्मी
जिला अनूपपुर (मध्य प्रदेश)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया रचना के संबंध अपनी टिप्पणी यहाँ दर्ज करें.