मनभावन सावन
सावन तो मनभावन पावन,
मास अवै सब तो सुख पायो।
वारिस की सब बूंद सुहावन,
ताल सरोवर मान बढ़ायो।
नागन दूध पिलावत हैं सब,
पेड़ लगे धरती हरियायो।
साजन राह तकै विरही मन,
धान किसान खूब लगायो ||
शीतल वायु बहे चंहु ओरन,
मान बढ़ावत सावन भायो ।
बादल घोर गुहार करे तब,
मोर धरा पर नाच दिखायो ।
गाँव गली सब बालक खेलत,
कानन में खग धूम मचायो ।
खेत किसान गयो तब पावत,
हालत डोलत धान सुहायो ||
घास अपार उगे धरनी पर,
खूब दिखे सब बादर पानी ।
पादप नीर वयार बढे शुभ,
झूम उठे धरती पर प्राणी |
सूरज ऊगत बात करैं सब,
सावन खीर सबै घर जानी |
जीयत के सब सावन पावन,
खेलत खात कटे जिंदगानी ||
मोर मयागुर बात सुनो सब,
सावन के कजली मिल जाई |
रीति-रिवाज मनावत हैं सब,
राग रक्षाबंध बाँधत भाई |
जीवन में सुख आवत जावत,
प्रेम सबै जन पावत आई |
सावन पावन है मनभावन,
देख प्रकाश करेन लिखाई ||
काव्य रचना:-
डी.ए.प्रकाश खाण्डे
शासकीय कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़,अनूपपुर मध्यप्रदेश
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