रविवार, अगस्त 02, 2020

रक्षाबंधन (कविता)


          रक्षाबंधन

आया राखी का त्यौहार, छायी खुशियाॅं बेशुमार।
भ्राता भगिनी का त्यौहार, निभाना रिश्ता बारम्बार॥

जाति धर्म से परे ये उत्सव, रस्म रिवाज अनुकूल।
भ्रात-भगिन का प्यार उमड़ता, रहे उभय समतूल॥
बना ये रक्षा सूत्र आधार। निभाना रिश्ता बारम्बारª॥

बहना बाॅंधे प्रेम का धागा, भइया की भवि रक्षित हो।
मनोकामना उज्वलता की जीवन सदा सुरक्षित हो॥
मिले सुख चैन सदा भरमार। निभाना........

भ्राता फिर गर्वान्वित हो, बहना पर बलि बलि जाता है।
सुख-शांति सुरक्षा की खातिर, संकल्प शपथ खा जाता है।॥
इसी मतलब का है त्यौहार। निभाना.........

यह मामूली सूत्र नहीं, अटूट प्रेम का बंधन है।
अनमोल सूत्र स्नेहभरा, कहलाता रक्षाबंधन है॥
प्रगाढ़ संबंध भरा त्यौहार। निभाना..........॥

मंगल कलश सजा जब बहना, भाल पै तिलक लगाये।
रक्षा सूत्र कलाई बांधे, भ्रात का सीना फिर तन जाये॥
हो ताजा भ्रातृ-भगिन का प्यार। निभाना .....

कारागृह में बहनों को भी, मिलती ये आजादी।
सीमा रक्षक योद्धा भी, बनते इससे फौलादी॥
करे पराक्रम का ये संचार। निभाना रिश्ता बारम्बार॥

भ्रात बनाकर कर्मवती ने मुस्लिम को राखी भेजा था।
समझाा था मूल्य हुमायूॅं ने रक्षा में सेना भेजा था॥
किया मेवाड़ का बेड़ा पार। निभाना रिश्ता......

भारतीय संस्कृति की गौरवगाथा गाते उत्सव सारे।
कहैं सहोदर मिल जुल कर सब प्रकटाओ भाई चारे॥
मानवीय मूल्यों का ये आधार। निभाना रिश्ता बारम्बार॥

काव्यरचना:-

राम सहोदर पटेलशिक्षक

शासकीय हाईस्कूल नगनौड़ी 

गृह निवास- सनौसीथाना-ब्योहारी जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)


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