श्रावण
शस्य
श्यामला श्रावण सुषमा,
सरिता सरोवर सवारि सराबोर हैं।
पर्वों
की रानी शिव को सुहानी,
धर्म व्रत में लीन किशोरी किशोर हैं॥
प्रकृति
सुषमा मनभावनि शीतल सुहावनि,
जल से प्लावनि छाई खुशी चहुंओर है।
श्याम
घटाघिरि घुमड़-घुमड़ नभ,
गर्जे घम-घमा-घम घनघोर हैं॥
चपला
चम-चमा-चम चमक,
चिनगारी चंचल चजे चहुओर है।
सारंग
पर पसारे पागल सा प्रमुदित,
नरतन करे हो भाव विभोर है॥
आह्लादित
अचला अनोखी,
अति अनुपम छटा चितचोर है।
मण्डूक
टर-टर, पिउ-पिउ पपीहा,
मनु चन्दा को पा हर्षित चकोर है॥
बीथिन-बिच
कीच मची अति,
राहगीरन पग परत कहीं और है।
हरीतिमा
प्रसर गयो बन, बाग, बाटिका,
बगारन बहार आयो प्रति ठौर है॥
कृषक
हर्षित मन लहक उठा,
लहरात फसल देखत कर गौर है।
सावन
अति पावन दीठ लगे,
अद्भुत आनंदमयी माह सिरमौर है॥
तटिनी-तड़ाग
योवन में मस्त हुए,
गहबर गिरि कानन शोभित सब ठौर है।
सरबर, सरसिज सौरभ से सुरभित,
सरसरात शीतल समीर सब ठौर हैं॥
लावण्य
रसपान करें देव-दनुज सब,
खग-मृग मनुज मधुरस ले भौर हैं।
कहत सहोदर सावन के सुषमा में,
प्रोन्नत हेतु पौध रोपण करें ठौर-ठौर है॥
काव्यरचना:-
राम
सहोदर पटेल,
शिक्षक
शासकीय
हाईस्कूल नगनौड़ी
गृह
निवास- सनौसी,
थाना-ब्योहारी
जिला शहडोल (मध्यप्रदेश)
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