सोमवार, जून 15, 2020

आँखों का तारा...(काव्यपाठ): अंजली सिंह


आँखों का तारा, कर गया बेसहारा
आज फिर पूत माता से अचानक दूर हो गया ,
घर अंधेरा दुख की छाया कर, किस जहां का नूर हो गया
बिलखती मां अकेली ,लाल को फिर से बुलाती है,
सिसकियों से  रूंधा है कण्ठ, अश्क गालो को जलाती है।
धुंधली हो गई आंखें, तेरी  सूरत की प्यासी है
रिक्त हुआ ममता का दामन, ह्रदय में सिर्फ खामोशी है।
ममता की थाल परोसू किसे? दुःख घनघोर हो गया ,
मां का दुलार प्यार आजहृदय का तार ले गया।
आज फिर  पूत माता से अचानक दूर हो गया,
घर अंधेरा दुख की छाया कर, किस जहां का नूर हो गया।
सुख के सपने सजाए थे सुत के  साथ माता ऩे
सुखों का ताज रख दूंगा मैं तेरे सिरहाने में
माता तड़प -तड़प कहती क्यों गहरी नींद तू सो गया।
आज फिर पूछ माता से अचानक दूर हो गया,.
घर अंधेरा दुख का छाया कर,
किस जहां   का नूर हो गया


रचना:
Ⓒअंजली सिंह
उच्च माध्यमिक शिक्षक
शा.उ.मा.वि.भाद जिला अनूपपुर
म.प्र.
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