शुक्रवार, जून 26, 2020

आती है न याद :जागेश्वर सिंह


आती है न याद 

जब नींद नही आती
और बीत जाता है ,
रात का तीसरा भी पहर
लोरी गाकर सुलाने वाली
मेरी माँ ,मुझे याद आती है

जब साथ खाना खाते
रोटी कम पड़  जाता है न ,
बचपने मे अपने हिस्से की रोटी देकर
भुखे रह जाने वाली
मेरी माँ, मुझे याद आती है।

जब चलते चलते लड़खड़ा जाता हूँ न ,
हाथ पकड़ कर चलना सिखाने वाली
मेरी माँ ,मुझे याद आती है।

भयानकता का डर और
अकेलेपन का साया जब सताती है न ,
वो अपने आँचल में छुपा लेने वाली
मेरी माँ ,मुझे याद आती है।

जब बाजार का भाव  बढ़ जाता है
जरुरत ही भर का  समान खरीदने में
 पैसा कम पड़ जाता है न ,
हर शौक पुरा करने वाले
मेरे पापा ,मुझे  याद आते हैं

कम नंबर आने पर
मन जब उदास हो जाता है न
मेरी हर नाकामयाबियों  में
  "फिर कोशिश करो"कहकर
सांत्वना देने वाले
मेरे पापा ,मुझे याद आते हैं।

जब कोई चीज नही दिखता
और बहुत ढुँढने पर भी नही मिलता है न
मेरी हर गलती पर दांट  देने वाले
मेरे बड़े भैया ,मुझे याद आते हैं।

जब किसी से तंग आकर
चिढ जाता हूँ
बातों में बहक सा जाता हूँ न ,
तब मेरी हर बात को
मजाक समझ कर भुल जाने वाले
मेरे मंझले भैया, मुझे याद आते हैं।

जब बात बात पर दोस्तों से झड़प हो जाती है।
हर बात पर लड़ने वाली
और फिर मान जाने वाली
मेरी बहन ,मुझे याद आती है।

जब कभी घुम-घामकर आने पर
कुछ खाने का मन करता है न ,
बाजार के हर मेले से मेरे लिए जलेबियाँ लाने वाली
मेरी दादी, मुझे याद आती है ।

जब कभी धुंधलके में
गली में ठेले वाला 'आम लेलो'
गुहारता है न
मेरे लिए हर शाम कुछ न कुछ ले आने वाले
मेरे बाबा ,मुझे याद आते हैं।

जब साथ चलते-चलते
थक जाता हूँ और बैठ जाता हूँ मन मारकर
बचपने में कंधे में
बिठाकर ले जाने वाले
मेरे बाबा ,मुझे याद आते हैं

जब कभी भुख से तर मैं
रसोडे में कुछ खोजता हूँ न ,
मेरे लिए खाना बचा देने वाली
मेरी चाची ,मुझे याद आती हैं।

जब कभी क्रिकेट देखते हुए लाईट गोल हो जाती है
स्कोर न जान पाने पर बेचैन हो जाता हूँ न
वो स्कोर  के साथ क्रिकेट की चर्चा  करने वाले
मेरे चाचा मुझे याद आते हैं।

कहीं जाते हुए ,दोस्तों के कंधो पर हाथ रखते हुए
पड़ोस में रहने वाला
मेरा दोस्त , मुझे याद आता है।

बनते ,बिगड़ते सपनों में
गिरते ,सँभलते ,जुझते ,भागते
थक हार कर जब घर लौटता हूँ
सिलसिलों और यादों  के कारवाँ  में
पल-पल का सारा दर्द  बाँट लेने वाली
मेरी याद ,मुझे याद आती है।

जागेश्वर सिंह
[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली

1 टिप्पणी:

  1. वाह जागेश्वर जी कितने मधुरस भरे भाव चित्रों से माँ के स्नेहन और महिमा का गुणगान किया है,,,, सच आपके कला सौंदर्य को सलाम है ,,,,

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