गुरुवार, जून 25, 2020

बादलों से सीख : राम सहोदर

ये बादल वर्षा करने के लिए आए या धमकाने।
दमकती दामिनी दमखम कलेजा दहला देती है॥

तपन ग्रीष्म मिटाकर प्यास धरणी की मिटाती है।
कि वसुधा बेकरारी ब्रेक कर खुशियां जो देती है॥

ये बादल सीख देते हैं ये वर्षा शीत देती है। 
क्षितिज सौंदर्य देता है, प्रकृति सभी जीवों को सेती है॥

कृषक को चैन देती है, धरा को धैर्य देती है।
फसल सुख शांति देती है, सकल उपकार देती है॥

न छोटा है कोई माने, बड़ा का भेद न जाने।
बराबर सबको देती है बराबर सबसे लेती है॥

ये बारिद हमसे कहते हैं बराबर जीव हैं सारे।
ना नीचा जग में है कोई ना ऊंचा मान देती है॥

छिपा जो वृष्टि छाया में, उसे बिल्कुल ना ये जाने।
मगर यह छल कपट से दूर निज दामन में लेती है॥

हरी धरती, हरे पौधे, हरे मैदान हरियाली। 
हरे अरण्य में खग मृग सभी, खुशियां समेटी हैं॥

खुशी से मोर नाचे हैं, खुशी दादुर भी गाते हैं।
जलद ये नभ सजाते हैं, खुशी डीजे बजाते हैं॥

बिजलियां चमचमाती हैं, चमक चिंदी गिराते हैं।
मगन मदमस्त हो तटिनी, मधुर कल कल की गाते हैं॥

खुशी चहुँ ओर छाई है रितू पावस के आने से।
खुश है सहोदर अंकुरन अब बीज देती है॥



रचनाकार: राम सहोदर पटेल,
शिक्षक, शा. हाईस्कूल नगनौड़ी, तहसील-जयसिंहनगर जिला-शहडोल मध्यप्रदेश

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया रचना के संबंध अपनी टिप्पणी यहाँ दर्ज करें.