ऐ जिंदगी तू क्या क्या कराती,
पाप कराती, पुण्य कराती।तेरा न कोई निश्चित कल,कब तू किस पर टूट पड़े।भूत,भविष्य, वर्तमान है तूरहती है तू अंतर मन में।मार्ग है तेरा, कर्म है मेरा,जुड़े रहें इस बंधन में।कुछ अच्छे कर्मों से हमने,सुनहरा जीवन पाया है।जिंदगी की गोद में,माता ने हमें सुलाया है।पता नहीं ये मानव जिन्दगी,बार-बार मिल पाएगी।पता नहीं ये जिंदगी,
श्मसान घाट पहुंचाएगी।कब धोखा दे जाएगी,अमीर गरीब का भेद न कर,
इस छोटी सी जिंदगी में,ऊँच-नीच तो आता है।जो जिंदगी से हार गया,वो कुछ नहीं कर पाता है।नाम- पंकज कुमार यादव (ET प्रथम वर्ष)ग्राम- बैहार पोस्ट- गौरेला थाना- जैतहरी जिला- अनूपपुर (म प्र)
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