बुधवार, मई 13, 2020

मिट्टी की अमरता :मनोज कुमार चंद्रवंशी

**मिट्टी की अमरता**
मिट्टी की  अमरता जग में  छाई है,
मिट्टी में  ही सकल जग समायी है।
मिट्टी  धरा में  सडती है,  गलती है,
निश दिन कई  रूपों  में ढ़लती है।।

मिट्टी  निश दिन  धूपों में   तपती है,
अनवरत  महि के पानी में बहती है।
सब कुछ  चुपचाप  सहन  करती है,
फिर  किसी  को  कुछ न  कहती है।।

मिट्टी  अजर,  अमर,  अविनाशी है,
मिट्टी में ही काबा, कैलाश,काशी है।
मिट्टी  कई  नूतन  आकार भी दी है,
सकल  जीवों को  सत्कार भी दी है।।

मिट्टी  दुनिया में  भोली -भाली है,
मिट्टी की खुश्बू   अजब  निराली है।
मिट्टी इस जीवन की क्रीड़ा स्थल है,
मिट्टीका  निज  गंभीर  वक्षस्थल है।।

मिट्टी में  प्रस्फुटित सुमन की कलियां,
मिट्टी में खिले धनधान्य की बालियां।
मिट्टी में पले, बढ़े तरु धरा की  श्रंगार,
मिट्टी है सकल पादप जग का आधार।।

मिट्टी में विकसित हुई मानव  सभ्यता,
मिट्टी में समाई सिंधु घाटी की भव्यता।
मिट्टी में जन्म लेकर एक दिन आना है
इसी  मिट्टी में  सबको मिल  जाना है।।

मिट्टी में ही निज उर्वरता की शक्ति है,
मिट्टी  में  ही  आर्यावर्त  की  भक्ति है।
मिट्टी  इस  जगत में  देवी  स्वरूपा है,
मिट्टी की सुजस धरा मेंअतिअनूपा है।।

मिट्टी अपनी सुंदर खुश्बू  की शान है,
मिट्टी  वसुंधरा में  जीवंत की  गान है।
मिट्टी  प्रकृति का  अनुपम  वरदान है,
लहलहाती  फसल  की   मुस्कान है।।

मिट्टी में ही मूर्तिकार पलता, बढ़ता है,
मिट्टी से  कलाकार  नवमूर्ति गढता है।
मिट्टी  में  केवल   प्राण नहीं  भरता है,
फिर भी  मिट्टी की  अनंत अमरता है।।

मिट्टी  का  स्वरूप  लगता  सजीव है,
मिट्टी की आकृति फिर भी निर्जीव है।
मिट्टी में कलाकार जीवन को तपाया,
मिट्टी में  जीवन के परम सुख  पाया।।

मिट्टी को इंसान ने मरू भूमि  बनाया,
उच्च उत्पादक विधियों कोअपनाया।
क्या  मिट्टी का इसमें कोई  कसूर है?
निःसंदेह  मानव  का  हाथ जरूर है।।

मिट्टी कीअमरता जगत में अनमोल है,
मिट्टी  जीवंत  रंगत की  सुंदर बोल है।
मिट्टी  को मृदा अपरदन से  बचाना है,
मिट्टी की संरक्षण विधि कोअपनाना है।।
काव्य रचना:
मनोज कुमार चंद्रवंशी(शिक्षक)विकासखंड
पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
[इस ब्लॉग में रचना प्रकाशन हेतु कृपया हमें 📳 akbs980@gmail.com पर इमेल करें अथवा ✆ 8982161035 नंबर पर व्हाट्सप करें, कृपया देखें-नियमावली]

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कृपया रचना के संबंध अपनी टिप्पणी यहाँ दर्ज करें.