खराब माहौल है पय दिन हैं अच्छे।
घर मा हैं माँ-बाप, भाई-बहन, बच्चे।
रही घरै मा बनके अपने घर बन्दी।
बाहर निकलब तबियत होई मन्दी।
लॉकडाउन बीतै न अइसै जउहाई लैत।
खाना बनामैं का सीखी भउजाई समैत।
डरामै बाले अफवाहन से सब दूर रही।
जागरूक बाली अच्छी बात जरूर कही।
सब झने मिल महामारी से लड़ी लड़ाई।
अउर न फइलै या तबाही का दूर भगाई।
रचनाकार:कुलदीप पटेल (के•डी•)
घर मा हैं माँ-बाप, भाई-बहन, बच्चे।
रही घरै मा बनके अपने घर बन्दी।
बाहर निकलब तबियत होई मन्दी।
लॉकडाउन बीतै न अइसै जउहाई लैत।
खाना बनामैं का सीखी भउजाई समैत।
डरामै बाले अफवाहन से सब दूर रही।
जागरूक बाली अच्छी बात जरूर कही।
सब झने मिल महामारी से लड़ी लड़ाई।
अउर न फइलै या तबाही का दूर भगाई।
रचनाकार:कुलदीप पटेल (के•डी•)
कल्लेह, तहसील-जयसिंहनगर, जिला-शहडोल (मध्यप्रदेश)
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