कोरोना का कहर
कोरोना का कहर विपुल जग में छाया है ,
महामारी विभीषिका बनकर अपना तांडव मचाया है।
मचा है हाहाकार जग में ना चैन ना खुशी किसी का,
सकल मानव जाति पीड़ित है, रौद्र रूप है इसी का।
यदि इस कहर से बचना है तो हमें मास्क लगाना होगा,
रखे परस्पर दूरियों का ध्यान तब इसे हराना होगा ।
कोरोना विषाणु के कहर से लोग अभावग्रस्त जिंदगी जीते हैं,
व्याकुलता की वेदना से कुछ दिन कष्टों से बीते हैं।
यह विचारणीय प्रश्न है हम सबको चिंतन करना है,
कमर कस कर आगे आएं हमें इससे नहीं डरना है ।
मुखरित होकर समाज आगे आए, हम सब को सहयोग करना होगा।
मानवता के पथ पर बढ़ कर पुण्य का घड़ा भरना होगा।
स्वार्थ को त्याग कर इस मानव तन में परोपकार करें,
शोषित, पीड़ित, वंचित वर्गों का कुछ उपकार करें।
समरसता का पाठ पढ़ा कर जग में सिरमौर बनें,
तन-मन-धन अर्पण कर परम साहसी शौर्य बनें।
काव्य रचना: मनोज कुमार
चंद्रवंशी( प्राथमिक शिक्षक)
संकुल खाटी जिला अनूपपुर मध्य प्रदेश
Corona
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