देशभक्ति का सुअवसर है,
अलभ्य अवसर को नहीं गवाएं।
देश चीख पुकार रहा है,
निज को निज से बचाएं।
देश हमसे यह मांग रहा है,
सीमा पर खड़ा रहकर पहरा देना नहीं।
सिर्फ इतना ही, घर से बाहर मत जाएँ
सूझबूझ से काम करें, न किसी से हाथ मिलाएं।
अपने मन को रोक लिया तो दुखद अंधकार टल जायेगा,
हे! अमित बुद्धि के मालिक! स्व. को ही नीं पर को भी साथ बचाएं।
स्वच्छ रहें और जो भरत भगिनी न जाने, उनको भी यही सिखाएं,
आपत्ति की विषम घड़ी में देश को हम बचाएं।
सेवा का यह सुर-तरु होगा,
हम एक बार देश के काम तो आयें।
सदा देश हमारी रक्षा करता,
हम एक बार देश के काम आयें।
हम स्वच्छ रहें और,
देश के उकार का बदला आज हम कुछ ऐसे चुकाएं।
अपनों को अपनों से जुदा करने वाले,
इस भयावहता को फैलने से रोकें।
घर पर रहकर रण-भूमि का कौशल दिखाएँ,
खुद को रोककर उपकार करने, घर से बाहर न जाएँ।
रचनाकार:अंजली सिंह,
(उच्च माध्यमिक शिक्षक)
शा.उ. मा.विद्यालय भाद
जिला अनूपपुर
(साभार:राज एक्सप्रेस के लिए श्री सीताराम पटेल)
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