1.
बदल रहो है समाज हमारा ,आओ खुशियां मनाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो......
कुम्भकरणी नींद जो सोवत हैं , उन्हें भी आज जगाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो.....
2.
सामाजिक कुरीतियां और आडम्बर मिलकर दूर भगाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो....
बच्चों को शिक्षा दिलवाई उन्हें भी शिक्षित करवाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो...
3.
बेरोजगारी दूर भगाई कौंनौं रोजगार अपनाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो...
खूब करो कठिन परिश्रम होगी बहुत कमाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो.....
4.
घर मुहल्ले गांव वालों से कबहूं न करियो लड़ाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो
हो सके तो खुशियां बांटो उनकी करो बड़ाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो.....
5.
चारों तरफ शांति माहौल बने ऐसी जुगत भिड़ाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो....
भाईचारा और मुहब्बत की सब देने लगें दुहाई हो,
कि हां हां हो कि हूं हूं हो.....
रचनाकार:धर्मेन्द्र कुमार पटेल
नौगवां, मानपुर जिला-उमरिया(मध्यप्रदेश)
[डिस्क्लेमर:इस ब्लॉग पर रचनाकर द्वारा भेजी गयी रचना इस विश्वास और उम्मीद के साथ प्रकाशित की जाती है कि वह रचनाकार की मौलिक और अप्रकाशित रचना है.अन्यथा के लिए रचनाकार स्वयं उत्तरदायी होगा.]
ब्लॉग पर प्रकाशित रचनाएं नियमित रूप से अपने व्हाट्सएप पर प्राप्त करने तथा ब्लॉग के संबंध में अपनी राय व्यक्त करने हेतु कृपया यहाँ क्लिक करें। कृपया अपनी रचनाएं हमें whatsapp नंबर 8982161035 या ईमेल आई डी akbs980@gmail.com पर भेजें,देखें नियमावली ]
ब्लॉग पर प्रकाशित रचनाएं नियमित रूप से अपने व्हाट्सएप पर प्राप्त करने तथा ब्लॉग के संबंध में अपनी राय व्यक्त करने हेतु कृपया यहाँ क्लिक करें। कृपया अपनी रचनाएं हमें whatsapp नंबर 8982161035 या ईमेल आई डी akbs980@gmail.com पर भेजें,देखें नियमावली ]
Bahut badhiya get
जवाब देंहटाएंखूबसूरत पंक्तियां, और बहुत अच्छा संदेश।
जवाब देंहटाएं