शुक्रवार, नवंबर 08, 2019

दो सैनिक और एक डाकू


दो सैनिक और एक डाकू
दो सैनिक एक साथ ही यात्रा पर निकले थे। मार्ग में उनकी एक डाकू से मुठभेड़ हो गई।उनमें से एक सैनिक सिर पर पांव रख कर भाग गया परंतु दूसरे ने मैदान नहीं छोड़ा और अपने बाहुबल से डाकू का सामना करता रहा।

कुछ समय तक मुठभेड़ चलने के बाद डाकू के मर जाने पर भगोड़ा साथी लौट आया और उसने अपना लबादा उतारकर एक किनारे फेंका और हाथ में बंदूक लिए कहने लगा,"मैं उसे सबक सिखा दूंगा अब उसे पता चल जाएगा कि उसने किस पर हमला करने की हिम्मत की है।" इस पर डाकू से लड़ने वाला सैनिक बोला,"काश तुमने कुछ समय पहले मेरी सहायता की होती, भले ही इन शब्दों के द्वारा ही। क्योंकि तब मैं उन्हें सत्य मानकर उनसे उत्साह ग्रहण करता परंतु अब अच्छा यही होगा कि तुम अपनी बंदूक अपने पास रखो और अपनी बेकार बकवास बंद करो। ऐसी बातों से तुम उन्हीं को धोखा दे सकते हो जो तुम्हें नहीं जानते। मैंने तो देख लिया कि तुम कितने तीव्र वेग से भाग सकते हो। मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि तुम्हारी बहादुरी पर तनिक भी भरोसा नहीं किया जा सकता।"

बड़ी-बड़ी बातें करना आसान है, परंतु सच्ची महानता का प्रदर्शन कर्म क्षेत्र में ही किया जा सकता है।

रचनाकार-संदीप सिंह कंवर
सहायक ग्रेड-3,
Office of The Chief Engineer Public Health Engineering Department Zone Jagdalpur
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