अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
परमपिता परमेश्वर की अनुपम कृति मानव उसमे आदिशक्ति एवम् प्रकृति की साक्षात प्रतिकृति नारी,जो सृजन कर्ता है, पालन कर्ता है,सहनशीलता, त्याग,सेवा,स्नेह,ममता की प्रतिमूर्ति है।नारी सृजनधर्मिणी है अपने अंदर असीम शक्ति की अनुभूति करके वह हर क्षण कुछ न कुछ करती रहती है।स्त्री शक्ति सृजन की सार्थ वाहिका हैं,प्रेरणा की पुंज हैं,उनमें सम्पूर्ण समाज को नई दिशा देने की असीम क्षमता निहित है,विश्व वसुधा का कायाकल्प करने की क्षमता है।इसीलिए शास्त्रों में कहा गया है कि * " दस पुत्रा: समा कन्या "* ऐसी ईश्वर की महान कृति नारी शक्ति का मैं हृदय से सम्मान व नमन करता हूं।सम्पूर्ण आर्यावर्त में महिलाओं को अत्यंत सम्मान और आदर प्राप्त है।हमारे शास्त्रों में अनेक विदुषी और पराक्रमी स्त्री शक्ति का उल्लेख है।महिलाएं आस्था से परिपूर्ण होती हैं।वे भावना प्रधान व संवेदनशील होती हैं,और हर परिस्थिति में कार्य करने में सक्षम भी। कोविड –19 में अभी हमारी सिस्टर्स ने इसका अनूठा उदाहरण पेश किया है।
आधुनिक काल में महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में है,और बिना किसी भेदभाव के वे निरंतर अपनी मेधा का लोहा मनवा रही हैं।प्रख्यात साहित्यकार महादेवी वर्मा,लौह महिला के रूप में सुविख्यात इंदिरा गांधी, भारत कोकिला सरोजिनी नायडू,सुषमा स्वराज, कल्पना चावला,किरण वेदी,मानुषी छिल्लर,साक्षी मलिक,पी वी सिंधु, मालिक बबिता फोगाट,इंदिरा नूई प्रभृत्ति अनेकानेक महिलाओं ने अपने शक्ति और क्षमता का लोहा सम्पूर्ण विश्व को मनवाया है, और अपनी मेघा से पूरी मानवता को आलोकित किया है। नि:संदेह,आगे महिलाएं और ज्यादा प्रभावशाली भूमिका में उभरकर सामने आएगी।उन्हें मौका मिलना चाहिए,भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए नारी शक्ति को अभिप्रेरित करना होगा।वे अपनी परिश्रम और अभियोग्यता के दम पर नए इतिहास का सृजन कर सकती हैं। वैश्वीकरण, उदारीकरण,उपभोक्तावादी संस्कृति ने कुछ विसंगतियां पैदा की हैं और हमने आधी आबादी की शक्ति को खुले मन से अभी स्वीकार नहीं किया है,और उन्हें उपभोग की वस्तु के रूप में देखने की भारी भूल कर बैठते हैं और निर्भया,हाथरस, हैदराबाद,उन्नाव जैसी घृणित घटनाएं घटित हो जाती हैं, लेकिन यह केवल कुछ कुत्सित मानसिकता से ग्रस्त मनोविकारी लोगों की करतूत है।हमें विचलित नहीं होना है।कर्तव्य पथ पर पूरी निष्ठा और ईमानदारी से आगे बढ़ते जाना है।हमारी मातृ शक्ति सहनशील होने के साथ ही शक्ति की पुंज भी है।परिवार,समाज,राष्ट्र में संस्कार और संस्कृति की संवाहक भी है।ज्ञान की दीप प्रज्वलित करने की अप्रतिम क्षमता है।स्त्री शक्ति का सम्मान, राष्ट्र का सम्मान है, भारतीय संस्कृति का सम्मान है।
नारी आगे बढ़ेगी, पूरा देश आगे बढ़ेगा।
जय मां भारती🙏🙏
डा ओ पी चौधरी
एसोसिएट प्रोफेसर मनोविज्ञान विभाग
श्री अग्रसेन कन्या पी जी कॉलेज वाराणसी
मो 9415694678
ई मेल: opcbns@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
कृपया रचना के संबंध अपनी टिप्पणी यहाँ दर्ज करें.