गुरुवार, फ़रवरी 18, 2021

अन्दर की बात (कविता) : राम सहोदर पटेल



अन्दर की बात
दिल का दर्द कैसा, आँसू ये बता देता है।
शुभचिन्तक  का प्रेम, उसका रुख ही बता देता है।
इन्सान का व्यक्तित्व भी, वाणी से पता चलता है,
ज्ञान का असर उसका, बहस बता देता है।
दौलत की वृद्धि से, अहंकार ही पनपता है,
कुटुम्ब रंग कैसा, संस्कार बता देता है।
ध्यान  है कहाँ पर, चालों से पता चलता है,
अन्दर में छिपी खूबी, नजरें ही बता देता है।
नीयत की नीति कैसी, सानिध्य प्रकट करता है,
रिश्ते की नीति कैसी, ये वक्त बता देता है।
समाज नीति कैसी, महफिल से पता चलता है,
है मेल-जोल कैसा, उत्सव ये बता देता है।
सफलतायों भरी राज, चेहरे से पता चलता है,
आतिथ्य प्रेम कैसा, मुस्कान प्रकट करता है,
मन में हो मलाल, जरा साथ बता देता है।
रूलाया यदि किसी की, पशुता ही प्रकट होती है,
हँसना और हँसाना,  इंसान बना देता है॥
भीतर का घर है कैसा,  दरबाजा बता देता है,
पेड़ होगा कैसा, पौधा ही बता देता है।
यदि समय का साथ न ले, तो पिछड़ते जायेंगे,
ऊंचाई तक पहुंचना, अवसर ही बता देता है|
मुश्किल में फंसे  भारी मारग न दिखे आगे,
तब ज्ञान का अहसास ही, मारग को सुझा देता है।
सहोदर का  कहन मान, दूरदृष्टि रखो ध्यान में
सलाह ही बड़ों का,
अरमान सुझा देता है॥
रचनाकार:
राम सहोदर पटेल, स.शिक्षक, ग्राम-सनौसी, थाना-ब्योहारी जिला शहडोल मध्यप्रदेश 
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