किसान दिवस स्पेशल
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कल दिनांक 23 दिसंवर को किसान दिवस मनाया गया, एक दूसरे को किसान दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं दी गई,परन्तु जैसे ही दिल्ली की सड़कों पर बैठे किसान आन्दोलन पर नजर पड़ी तो किसान दिवस की खुशियां ओझल हो गई। अगर किसानों की पीड़ा समझना है तो अपने अपने गांव के सोसायटी और दलालों की स्थिति देखिए,न तो समय पर खाद मिलता और न खरीदी होती, यहां तक कि अपने पैसे निकालने के लिए किसान बैंक के चक्कर लगाने को मजबूर होता है।यह दोष किसका है और कौन दूर करेगा। अगर चुप रहेंगे तो बहुत ही जल्द गुलामी रूपी दानव अपना शिकार करने के लिए लालायित हो रहा है।
जागो किसानों और आवाज बुलंद करो।
करुण पुकार पंक्तियां
दिसंबर का महीना, ठंड की पड़ रही मार।
किसान बैठे सड़कों पर, दया करो सरकार।।
खेती करना है मुश्किल, उत्तम है व्यापार।
खेती करने वाले, दुःखी हैं और लाचार।।
रात - दिन का पहरा, छोड़ अपना घर द्वार।
किसान रहता खेतों में, स्वस्थ्य हो या बीमार।।
फटी लंगोटी पसीने से लथपथ, परिश्रम को तैयार।
किसानों की पीड़ा कोई न समझे,
बताना है बेकार।।
ब्यापारी बैठे हैं महलों में,
अफसर मारे हुंकार।
दलालों की बल्ले बल्ले, किसान की हालत बंटाधार।।
कृषि कानून अच्छा है तो,
क्यों मचा है हाहाकार।
बीच का रास्ता जल्दी निकालो,
नहीं तो है धिक्कार।।
आपका भाई - धर्मेंद्र कुमार पटेल
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