☀️कुछ भी असंभव नहीं☀️
मानव तन के लिए, कुछ भी असंभव नहीं,
जीत का जज्बा हो तो,कभी भी पराभव नहीं।
निराशा भाव छोड़ ,श्रम सदा करते रहें,
हतबल हाथों के लिए,कामयाबी संभव नहीं।
मानव तन के लिए---------
कामयाबी कदम चूमे,बुद्धि और कौशल से,
हताश वही होता,जिसके पास अनुभव नहीं।
मानव तन के लिए---------
श्रम सफलता की कुंजी,सद्बुद्धि से श्रम करें,
असफल वही है जिसमें, बुद्धि का उद्भव नहीं।
मानव तन के लिए---------
कुशराम कहें आलस्य छोड़, अपनावें सद्मार्गी जोश,
विफल वही है जिसके,सद्कार्य में सदाभव नहीं।
मानव तन के लिए,कुछ भी असंभव नहीं,
जीत का जज्बा हो तो,कभी भी पराभव नहीं।।
दिनांक07/07/2020
रचनाकार-बी एस कुशराम बड़ी तुम्मी
जिला अनूपपुर ( मध्य प्रदेश)
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