वर्ण पिरामिड
(1)
हे!
गुरु
आप हैं
भगवान
मार्गदर्शक
जीवन रक्षक
हमारे संरक्षक।
(2)
मैं
बड़ा
तो हुआ
पर झुका
चरण स्पर्श
कर हुआ धन्य
ना अब कोई गम।
(3)
वो
देखो
गरीबी
रोड पर!
गरीब नही
देश का भविष्य
रोड पे सो रहा है।
(4)
वो
सुन
हत्यारे
तू विजय
नाम रख के
होगा पराजय
लगेगी तुझे हाय
रचना :
अविनाश सिंह
गोरखपुर
8010017450
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