🌹प्रशंसा🌹
यह सत्य है प्रशंसा से,
बढ़ता है हौसला,
विरोधी की प्रशंसा से,
घटता है फासला।
प्रशंसा करो ऐसी कि, दिखावा ना होवे-2
सच्ची हो प्रशंसा तो, सुलझता है मसला।
यह सत्य है---------
झूठी प्रशंसा तो,चापलूसी कहलाती-2
भेद खुल जाने से, बढ़ जाता है फासला।
यह सत्य है-----------
चापलूसी भरी प्रशंसा, गुलामी की निशानी-2
आज की प्रशंसा में, झलकती है यह कला।
यह सत्य है-----------
सच्ची प्रशंसा से,
निखरता है कौशल-2
झूठी प्रशंसा से, होता नहीं है भला।
यह सत्य है----------
प्रशंसा करो वीरता,कर्मठता व साहस की-2
प्रशंसा स्वीकारो नहीं,जो होवे दिलजला।
यह सत्य है-------------
"कुशराम" कहें
प्रशंसा करो, कवियों कलमकारों
की-2
जिनमें विविध आयामों में,
लिखने की है कला।
यह सत्य है प्रशंसा से,
बढ़ता है हौसला।
विरोधी की प्रशंसा से,
घटता है फासला।।
🌷अधूरापन🌷
गर समाज में न हो अपनापन, छाया हो अकेलापन।
अपूर्ण रहे सामाजिक जीवन, तभी लगता अधूरापन।।
संगिनी साथ छोड़ दे, साजन अपना मुंह मोड़ ले,-2
रह जाता है अकेलापन, यही तो है अधूरापन।
गर समाज में-----------
खुशहाल परिवार हो,वैभव की भरमार हो-2
संतति की किलकारी न हो, तो लगता है अधूरापन।
गर् समाज में------------
पत्नी करे सोलह श्रंगार,पिया संग लुटाए प्यार,
गर गोदी रहे सूनापन, तो लगता है अधूरापन।
गर समाज
में------------
धरा में हरियाली आए, सावन में घटा छाए,
तभी याद आए बचपन,तो लगता है अधूरापन।
गर समाज में-----------
संगदिल संग न हो,विरहणी में उमंग न हो,
जब भी देखे दर्पन, तभी लगता अधूरापन।
गर समाज में---------
"कुशराम"का यह
कहना है, अब अकेले ही रहना है,
उम्र पार हुआ छप्पन, लगता है अधूरापन,
गर समाज में न हो अपनापन,छाया होअकेलापन,
अपूर्ण रहे सामाजिक जीवन,तभी लगता अधूरापन।।
रचनाकार-बी एस कुशराम बड़ी तुम्मी
जिला अनूपपुर (मध्य प्रदेश)
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