शनिवार, जुलाई 11, 2020

बी एस कुशराम की दो कविताएँ


🌹प्रशंसा🌹
यह सत्य है प्रशंसा से, बढ़ता है हौसला,
विरोधी की प्रशंसा से, घटता है फासला।
   प्रशंसा करो ऐसी कि, दिखावा ना होवे-2
   सच्ची हो प्रशंसा तो, सुलझता है मसला।
  यह सत्य है---------
झूठी प्रशंसा तो,चापलूसी कहलाती-2
भेद खुल जाने से, बढ़ जाता है फासला।
यह सत्य है-----------
   चापलूसी भरी प्रशंसा, गुलामी की निशानी-2
   आज की प्रशंसा में, झलकती है यह कला।
   यह सत्य है-----------
सच्ची प्रशंसा से, निखरता है कौशल-2
झूठी प्रशंसा से, होता नहीं है भला।
यह सत्य है----------
   प्रशंसा करो वीरता,कर्मठता व साहस की-2
   प्रशंसा स्वीकारो नहीं,जो होवे दिलजला।
   यह सत्य है-------------
"कुशराम" कहें प्रशंसा करो, कवियों कलमकारों की-2
जिनमें विविध आयामों में, लिखने की है कला।
यह सत्य है प्रशंसा से, बढ़ता है हौसला।
विरोधी की प्रशंसा से, घटता है फासला।।
🌷अधूरापन🌷
गर समाज में न हो अपनापन, छाया हो अकेलापन।
अपूर्ण रहे सामाजिक जीवन, तभी लगता अधूरापन।।
   संगिनी साथ छोड़ दे, साजन अपना मुंह मोड़ ले,-2
   रह जाता है अकेलापन, यही तो है अधूरापन।
   गर समाज में-----------
खुशहाल परिवार हो,वैभव की भरमार हो-2
संतति की किलकारी न हो, तो लगता है अधूरापन।
गर् समाज में------------
   पत्नी करे सोलह श्रंगार,पिया संग लुटाए प्यार,
   गर गोदी रहे सूनापन, तो लगता है अधूरापन।
   गर समाज  में------------
धरा में हरियाली आए, सावन में घटा छाए,
तभी याद आए बचपन,तो लगता है अधूरापन।
गर समाज में-----------
   संगदिल संग न हो,विरहणी में उमंग न हो,
   जब भी देखे दर्पन, तभी लगता अधूरापन।
   गर समाज में---------
"कुशराम"का यह कहना है, अब अकेले ही रहना है,
उम्र पार हुआ छप्पन, लगता है अधूरापन,
गर समाज में न हो अपनापन,छाया होअकेलापन,
अपूर्ण रहे सामाजिक जीवन,तभी लगता अधूरापन।।
रचनाकार-बी एस कुशराम बड़ी तुम्मी
     जिला अनूपपुर (मध्य प्रदेश)


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