सोमवार, जून 22, 2020

हे वीर पुरुष (कविता)--डी.ए.प्रकाश खाण्डे


हे वीर पुरुष
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हे !भारत के वीर पुरुष,
प्रगतिऔर उत्थान करो |
शत्रु विदारण करने को,
हे! राष्ट्र भक्त प्रस्थान करो ||
उत्तर और पश्चिम के शत्रु से,
हे ! संरक्षक सावधान रहो |
सरहद पर चीनी घोलने का,
हे ! वीर पुत्र संज्ञान करो ||
कसो सिकंजा दुष्ट चीन पर,
उदीची का अभिमान हरो |
राष्ट्रवाद और मानवता का,
जग में नव विहान करो ||
शत्रु सदा हुआ पराजय,
लेके तिरंगा अभियान करो |
विपदा तम को हरने वाले,
उत्तर पश्चिम दिनमान करो ||
सीमा पर क्यों सिर टकराता,
शौर्य पूर्ण निदान करो |
भारत के जन जन को,
हे ! वीर पुत्र आह्वान करो ||
इतिहास हमारा अमर रहे,
कुछ ऐसा विधान करो |
दुष्ट दमन करने को,
निश्चय अब उड़ान भरो ||
रिपु उदंड है;घोर घमंड है,
शत्रु का अवसान करो |
गलवान हमारा हो बलवान,
पावन भारत का गुणगान करो ||
बहुत किया परहेज चीनी से,
अब चीनी नुकसान करो |
शत्रु विदारण करने को,
हे !वीर पुत्र प्रस्थान करो ||
डी .ए.प्रकाश खाण्डे अनूपपुर म .प्र

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