शहीदों को श्रद्धांजलि
सूनी हो गई मां की
गोदी, भाई शहीद हो गया।
पत्नी की मांग का सिंदूर भी असार हो गया।
कर के अलविदा हम
सबसे, चला गया मेरा दोस्त।
युद्ध हो आज़ादी
का, कारगिल का या पुलवामा का,
या फिर हो सियाचिन का,
न्यौछावर कर अपने
प्राण को अमर शहीद हो गया।
और धरा को सुरक्षित करने विदा हो गया पहरेदार।
सोचा नहीं परिवार
का न ही समझा घर वार का।
भारत मां की
रक्षा में वो खुद न्योछावर हो गया।
नमन करें उन
पुण्य आत्मा को जो
देकर आहूति जीवन
की सच्चा सपूत हो गया।
है नमन उनको कि
जो देह को अमरत्व देकर,
इस जगत में शौर्य
की जीवित कहानी हो गये हैं।
है नमन उनको कि
जिनके सामने बौना हिमालय,
जो धरा पर गिर
पड़े पर आसमानी हो गये हैं।
जय
हिन्द जय भारत
(सीमा पर हुए शहीदों को श्रद्धांजलि)
(स्वरचित)
©अजीत पटेल"सोनू"
सचिव
- जन कल्याण युवक मंडल झांपर ब्यौहारी
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