सोमवार, जून 22, 2020

योग श्लोक : मनोज कुमार चंद्रवंशी

योग श्लोक

सूर्य नमस्कारः द्वादश  मंत्र  उच्चारणं  कुर्वंति।
स्वः   तनः    स्फूर्त   च  मनः   मुदित  भवंति॥

सूर्य     नमस्कारः     सर्वे     जेष्ठः   आसनम्।
द्वादशः  सूर्य   नमस्कारः   जगते   सर्वश्रेष्ठम्॥

योगासने विवेकः  जागृतम्  च  छवि उदितम्।
उदर  विकृतिः  विनष्टं  च उच्च रक्त शोधनम्॥

सर्वे   चित्त्   निर्वेदाय   कुरुः  योग  साधनाम्।
स्वास्तिक   मुद्राः  आसने   कुरुः  आराधनम्॥

सर्वांगासनः पर्वतासनः  च  कुरु   मंडूकासनः।
हलासनःभुजंगासनः तत्पश्चात कुरु शवासनः॥

आसनः,यमः, नियमः,ध्यानः,धारणाः, समाधिः।
प्रत्याहारःप्राणायामःअष्टयोगं विनष्टम् व्याधिः॥

कपालभातिः,  अनुलोम  विलोमः  प्राणायामः।
भास्त्रिकाः,भ्रामरीःनित्य कुरु प्रातः च शायम्॥

वयम्  इच्छामि  जागृतम्  तेजस्वीः  प्रज्ञावान।
अस्माकं परम कर्तव्य योगःआचरेण धारणम्॥

              योग दिवस पर समर्पित।

                        रचना✍
             मनोज कुमार चंद्रवंशी
    पुष्पराजगढ़ जिला अनूपपुर(म0प्र0)
    रचना दिनाँक - २१|०६|२०२०

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