देखो तुम्हारी मौत का
हो गया गड्ढा तैयार
जब तुम पर गिरी मिट्टी
तब शासन ने कराई पट्टी
जब हुई तुम्हारी मौत
तब पता चला कि तुम भी हो
तुमने तो दिया था वोट अपने भले काम के लिए
मगर यह बैठे हैं सीना तान तुम्हारी जान के लिए
तुमने सोचा था यह तुम्हें जमीन से उठाएंगे
मुझे पता है यह तुम्हें जमीन पर दफनाएंगे राख में मिलाएंगे
तुम नहीं जानते
इन्होंने तुम्हारी वोट का सौदा किया
तुम्हारे कारण ही इनके घर का जलता दिया मनती दिवाली मनती होली
सारी खुशियां इनकी
यह अब आएंगे तुम्हारे घर 10 दिनों बाद
दस मिनट रुक कर तुम्हारे फूल ही तुम पर सजाएंगे
फिर तुम्हारे जीवन की कीमत पांच हजार में लगाएंगे
मैं तो कहता हूं कि कह दो इन हुक्मरानों से
कि सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
पुष्पेन्द्र पटेल
युवा सामाजिक कार्यकर्ता
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