जा कोराना अब तो जा
मुश्किल बड़ी है
पार पाना, जा कोरोना अब तो
जा।
झकझोर डाला झार
डाला, मार डाला अब तो जा ॥
निष्ठुर बड़ा तू
दण्ड दीन्हा, पापी निहायत अब
तो जा।
तेरी गुलामी सह न
जाये, तू है कसाई अब तो जा॥
मार्ग सारे बन्द कीन्हें,
जान लीन्हें अब तो जा।
गतिविधि बिगाड़े
अर्थ सारे, कीन्हा पतन है अब तो जा॥
अमन छीना चमन
छीना, दफन कीन्हा अब तो जा।
दिल मिलाना, कर
मिलाना, बन्द कीन्हा अब तो जा॥
दूरी बढ़ाया है
परस्पर, बहुतै नशाया अब तो जा॥
स्वागत तुम्हारा
हम न करते, नैहर को अपने अब तो जा।
जा चला जा चाइना,
आया जहाँ से अब तो जा।
दानव है आदमखोर
तू, खूनी बड़ा है अब तो जा॥
भरपाई नहीं हो
पाय कबहूँ, बदहाल कीन्हा अब
तो जा।
जीत हमरी होन दे,
अतिशय रुलाया अब तो जा।
ये गुलामी घर के
भीतर, सह न जाये अब तो जा॥
रुपिया न पैसा
काम आये, जादू चलाया अब तो जा।
जीने भी दे कुछ
काल सुख से, बैरी चुकाया अब
तो जा॥
कहता सहोदर आश
लागी, आयेंगे दिन वे अब तो जा।
बरषेंगे बादल,
मोर नाचे, गायेंगे सावन अब तो जा॥
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रचनाकार:
-000-
Good
जवाब देंहटाएंकोरोन की विदाई अच्छी रचना है।
जवाब देंहटाएंBahut hi badhiya sir
जवाब देंहटाएंBahut hi badhiya sir
जवाब देंहटाएंउत्साह बढ़ाने बाले सभी आदरणीय जनों को सहृदय साधुवाद ।
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