शनिवार, मई 23, 2020

वन न उजार तू: राम सहोदर



कहती प्रकृति सुनो मन का जुनून छोंड़।
अपने ही पैर में कुल्हाड़ी मत मार तू॥
होवे है मनुज तू दनुज की न राह चल।
पेड़ों की कटाई कर वन न उजार तू॥
इनसे है धरती पुनीत अति भावनी।
मित्र हैं तुम्हारे पेड़, आरा न चलाओ तू॥
काम आयेंगे तुम्हारे ही एक दिना सोच ले।
मंगल तुम्हारा है, अमंगल न कराओ तू॥
आमों के भी आम हैं गुठलियों के दाम हैं।
फायदा है चहुं ओर पेड़ों को लगाओ तू॥
प्राणवायु शुद्ध मिले पेड़ों की सलामती से।
जीवन को अपने सुनिश्चित बनाओ तू॥
मौज करो मस्ती करो जब तक प्रदूशण नहीं।
इसीलिए पर्यावरण रक्षित कराओ तू॥
राम सहोदर कहें मैंने भी रोपे नब्बे।।
अच्छे-अच्छे कुछ पेंड़ अभी भी लगाओ तू॥

रचनाकार:
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