बुधवार, अप्रैल 22, 2020

दो कविताएँ:डी .ए.प्रकाश खाण्डे

(एक)
हे समतावादी महापुरुषजनमन पर उपकार किया।
सबको सेवा-सबको अवसरशिक्षा का अधिकार दिया॥

लोकतंत्र और मानवता कोविधिज्ञाता स्वीकार किया।
नारी-पुरुष और किन्नर को भीमत का अधिकार दिया॥

निज शिक्षा के बलबूते हीसंविधान का मनन किया।
अश्पृश्यता और भेदभाव कोएक फुरसत में दफ़न किया॥

नहीं कोई हैऊंच-नीचछः मौलिक अधिकार दिया।
हम भारत के लोग जिसेमन से अंगीकार किया॥
{बाबासाहेब अम्बेडकर को समर्पित}
(दो)


यही समय सेवा का साथी, सबको पाठ पढ़ाना है।
मानव से मानव की दूरी का, संयम सदा सिखाना है।

लाकडाउन है जग जाहिर, अब अर्थ अन्धेरा छाया है।
एक देश की करामात से, जग में कोरोना आया है।

जो दूर देश में फंसे हुए,उनकी खोज कराना है।
भूखे- शोषित- वंचित- निर्धन, सबको भोज कराना है।

नहीं किसी से बैर- भाव, साबुन से हाथ धुलाना है।
सुथरा कपड़ा, सुथरा भोजन, मुँह में मॉस्क लगाना है।

असहायों को दान दया का, सेवा सबको पहुंचाना है।
यही समय सेवा का साथी, सबको पाठ पढ़ाना है।
रचना: डी.ए. प्रकाश  खाण्डे 
शासकीय कन्या शिक्षा परिसर पुष्पराजगढ़जिला -अनूपपुर मध्यप्रदेश

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