शनिवार, दिसंबर 21, 2019

साथ रही सब:कुलदीप पटेल की कविता

साथ रही सब
कुलदीप पटेल
साथ रही सब मिलजुल, आपस माहीं  न करी लड़ाई।
संविधान केर आत्मा, धर्मनिरपेक्ष केर समझी गहराई।
भाईचारा बाला भारत केर बुनियाद सदा बनी  रहै,
एकै  छत के नीचे रहैं, हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख ,ईसाई।

वैचारिक मतभेद होय विचारन से, हिंसा न भड़कै।
देशहित माहीं  होय फैसला सब, सियासत न चमकै।
अमन , शांति अउर अहिंसा कायम रहै वतन माहीं,
फेर दुबारा  भारत माँ के आँचल खून से न महकै।

भगत, सुभाष, आजाद केर सपना बाला देश बनाई।
गाँधी, नेहरू, पटेल, अम्बेडकर बाला सन्देश बताई।
या देश आय सबकेर, अउर है सबके बराबर के हक,
आपसी असमंजस भूल के आपन देश  बचाई।

कुछ करके इतिहास बनाई, इतिहास का न बदली।
काहे कि घर माहीं  जंग शुरू होइ ता, फेर न सम्भली।
कुछ अइसन करी कि आमैं  बाला कल बेहतर होय,
नही त रहि जईहै जुझतै सब, केहु केर न एक चली।

शिक्षा, स्वास्थ्य, बेरोजगारिऊ माहीं  कुछ ध्यान बढ़ाई।
गरीब, मजदूर, किसान केर खातिर आसमान बनाई।
निजीकरण अउर उद्योग तक सब न सीमित करी,
अवाम तक पहुंचै अईसन योजना आसान बनाई।

हिंदुस्तान के मिट्टी से जनमै केर सब गर्व जताई।
दुनिया के सब धर्मन से सबसे बड़ा देशधर्म बताई।
सकल जगत के शीर्ष मा लामै केर सबके रहै योग,
अउर भाईचारा से मिलके खुशियन के पर्व मनाई।

देश मा रहिके देश विरोधी कबहु न नारा लगाई।
अपने हिरदय माहीं, देशभक्ति के सदैव प्रेम जगाई।
जननीं जन्मभूमिश्च गरीयसी सबका याद रहै,
गर्व से देश म रही देश के खाई अउर देश के गाई।

रचनाकार: कुलदीप पटेल (के डी) ब्यौहारी, शहडोल। 

2 टिप्‍पणियां:

  1. कुलदीप पटेल जी की उत्कृष्ट रचनाएं इस ब्लॉग को मिलती रही हैं. पाठकों से अनुरोध है कि रचनाकार का मनोबल बढाने के लिए रचना को अधिक से अधिक पाठकों तक पहुँचाने का कष्ट करें.

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