बुधवार, नवंबर 27, 2019

यादें:सतीश कुमार सोनी की कविता

     
      
 यादें
कुछ तो है बीते हुए कल में, 
बसी है यादें हर एक पल में। 
देकर नाम पुराने दिन का, 
जीता हूं मैं उसी हलचल में।
          
खोकर मन स्वप्न दिखा जाता है,
बीते हुए पल की याद दिला जाता है।

भूला नहीं इसे मैं
आज और कल में,
कुछ तो है बीते हुए कल में, 
कुछ तो है बीते हुए पल में।।

अच्छी, नयी-पुरानी यादें,
एक दिन सब धूमिल हो जाती हैं,
न जाने क्यों सारी बातें 
दिल में कहीं दब जाती हैं।

लड़ते झगड़ते यारों के संग 
दिन और साल गुजर जाता है,
देकर अपनी याद सुहानी 
न जाने कौन किधर जाता है।

हम बनते बिगड़ते थे एक ही पल में,
कुछ तो है बीते हुए कल में,
कुछ तो है बीते हुए पल में।

किसी का रोना, किसी का गाना, 
थोड़े-थोड़े में सब कह जाना।
लड़कर मनभर फिर उसे मनाना,
सब कुछ याद बहुत आता है।

ऐसी मीठी-मीठी यादों के संग 
जीवन का एक पन्ना और पलट जाता है।
देखें पलट कर जब हम इसको,
जीवन का एक चिट्ठा नजर आता है।

करते हैं हम याद इसे 
हर सुख-दुख के पल में,
कुछ तो है बीते हुए कल में, 
कुछ तो है बीते हुए पल में।।

रचना:सतीश कुमार सोनी
जैतहरी, जिला-अनूपपुर (मध्य प्रदेश)
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