मंगलवार, अक्टूबर 22, 2019

तू ही है मेरा अभिमान:अर्पिता शिवहरे की कविता



तू ही है मेरा अभिमान
 अर्पिता शिवहरे

मेरा सूरज, मेरा चांद! 
तू ही है मेरा अभिमान!
सुबह-सुबह तू मुझे उठाए, 
अपनी लालिमा से दिन की शुरुआत कराए।

जैसे-जैसे दिन ढलता जाए,, 
चंदा को तू पास बुलाए।
चारों ओर अंधेरा छाए, 
फिर तारों की बारातें आये।

ठंडी - ठंडी पवन लहराए, 
यह प्रक्रिया चलती जाए
फिर एक नया सवेरा आए।
जब-जब मौसम गर्मी का आए, 
पूरी धरती तपती जाए।
कोई भी ना निकले घर से, 
जब तेरा प्रकोप छाये।

चारों ओर हरियाली छाया, 
वर्षा ऋतु का मौसम आया।
सूरज ने अपना प्रकाश बिखराया, 
सब की फसलों ने लहराया।
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गूगल से साभार.
ठंडी में तू  मन को भाये, 
हर किसी से अपनी राह तकवाये
फिर जब तेरी किरणें आए, 
सबके चेहरे पर मुस्कुराहट लाए।
तेरी किरणों  से फूल खिल जाए, 
हर एक पौधा भोजन पाए।
हर किसी की जिंदगी में तू , 
अहम   भूमिका निभाये।
मेरा सूरज, मेरा चांद!
 तू ही है मेरा अभिमान।

कक्षा-12वीं (बायो)
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