सोमवार, अक्टूबर 14, 2019

पेड़ों का अस्तित्व


पेड़ों का अस्तित्व
पंकज कुमार यादव
पेड़ों का अस्तित्व है संकट में, 
अगली पीढ़ी है मुसीबत में  

कोई विरोध न करता इसका,.
संतुलन खो  गया है मानव का

पेड़ हमें सब कुछ देता है,
बदले में ना कुछ लेता है

फिर भी ना कोई इनको बक्शे,
काट रहे हैं हंसते-हंसते

इससे है ब्रह्मांड बना,
तत्वों का  यह मुखिया
  
आसपास हैं हरे-भरे,
ऊंचे नीचे सभी खड़े

अगर क्रोध में आया पेड़,
सब कुछ नष्ट कर देगा  
नहीं बचेगा कोई भी प्राणी,
सबको पाठ पढ़ा देगा

एक तत्व भी अगर गया,
तो चार तत्व भी होंगे नष्ट
  सबकी आंखें खुल जाएंगी, 
जब होगा मानव का अंत

पेड़ हमें छाया देते हैं,
खाने को है देते फल  
फिर भी मानव सोच रहा है,
चलो हम इनको कांटे कल

मानव चाहता बंजर भूमि,
कब तक रहेगा उसमें खुश  
है फिर चाह कर भी ना होगा,
हरा-भरा दोबारा विश्व

मत काटो हम पेड़ों को,
हमने तेरा क्या बिगाड़ा  
ठीक ठीक कह रहे हैं,
फिर भी सब ने मुंह है फेरा

कितना प्यारा विश्व है,
हर खुशी है साथ मनाते  
फिर क्यों उनको भूल गए हैं,
जो आसपास हैं हवा लगाते

लोग समझ के इसको कविता,
पढ़ लेते और जाते भूल।
इसमें करता अमल न कोई,
नादानी करते सब कोई।

अब से पौधा हमें लगाना,
सेवा इनकी सदा है करना।  
जान हमारी भले ही जाए,
पेड़ एक भी कट न पाए।

CO2 है सबके पास,
O2 कहां से लाओगे?
पीठ में जब गैस रहेगा,
तब बड़ा पछताओगे?

रचना:पंकज कुमार यादव
ग्राम-बैहार, पोस्ट-गौरेला,
तहसील-जैतहरी, जिला-अनुपपुर(मध्यप्रदेश)

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