शुक्रवार, अक्टूबर 25, 2019

प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छे अंक कैसे प्राप्त करें:महेशचंद्र 'राही' का आलेख



प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छे अंक कैसे प्राप्त करें
                                                                                                                  -महेशचंद्र 'राही'

कोई दो प्रतियोगी जो बहुत अच्छे ढंग से सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी किये हों। उनमें से एक परीक्षा देने की तकनीक जनता हो; दूसरा यह तकनीक न जानता हो,एक ही साथ परीक्षा देने पर उनमें से परीक्षा की तकनीक जानने वाले प्रतियोगी को अपेक्षाकृत अधिक अंक प्राप्त होंगे। आप सोचते होंगे ऐसा कैसे हो सकता है?  हम कहते हैं हो सकता है। तकनीक तो दुनिया के हर काम में चमत्कार दिखा रहा है। 

निश्चित रूप से आप भी यह तकनीक जानना चाहेंगे। ठीक है हम आपको यह तकनीक बता रहे हैं। इसे जानिए और पूर्वाभ्यास ,छद्म परीक्षाओं के द्वारा इसका अच्छी तरह से अभ्यास कीजिये। आपको निश्चित रूप से इसका लाभ मिलेगा। 

यह तकनीक  परीक्षा के ठीक पूर्व और परीक्षा कक्ष में परीक्षा के दौरान आपके द्वारा की जाने वाली गतिविधियों के सम्बन्ध में है

प्रारंभिक परीक्षा देने की तकनीक- 
हम यह मानकर चलते हैं कि आप अच्छी तैयारी कर चुके हैं। आप अपनी परीक्षा पद्धति से भी अवगत हैं। कल आपको परीक्षा देने जाना है। आज १० बजे रात तक आप अपनी पढ़ाई हर हालत में बंद कर दीजिये। अपने  आपमें यह आत्मबल पूर्ण सोच बनाये रखिये कि आपने  बहुत अच्छी तैयारी की है और परीक्षा में आप सारे प्रश्नों को अच्छे से हल करेंगे । आपकी परीक्षा निकल ही जाएगी। माना यदि कुछ प्रश्न न भी बन पाए तो कोई मौत की सजा तो नहीं होने वाली है। अगली बार फिर से हम अपनी कमियों को सुधारते हुए अच्छी तैयारी करेंगे और अगले साल तो परीक्षा निकाल ही लेंगे।  

हमारा तात्पर्य परीक्षा के भय को आपको ऐसे जीतना है कि  वह आपको छू भी न पाए। परीक्षा की सारी सामग्री (जैसे पेन,पेंसिल,रबर व अन्य)आप पहले दिन ही  सहेज कर रख लेवें। पीने के पानी का भी आपको इंतजाम करना होगा। रात में इत्मीनान के साथ सुपाच्य भोजन कीजिये और सुबह में सही समय एलार्म लगा कर चैन के साथ सो जाइए। आत्मबल व बिना हड़बड़ाहट के गहरी नींद लीजिए। सुबह समय पर उठिये,नित्य क्रिया,स्नान,भोजन से निपट कर आधे घंटे पूर्व परीक्षा भवन पहुँच जाइये। साथ में परीक्षा सामग्री और पानी का बॉटल ले जाना न भूलें। साथ में पानी ले जाने की बात इसलिए कही गई है कि परीक्षा के  समय आप बीच-बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी प्यास न लगने पर भी पीते रहें। इससे आपके दिमाग और शरीर में तरावट बानी रहेगी। और आपको अपेक्षाकृत अधिक सरलता से सही उत्तर सूझेंगे। अन्यथा पानी न पीने पर आपको सिरदर्द और मानसिक तनाव की परेशानी हो सकती है।

और हाँ, यदि आप परीक्षा भवन लेट पहुंचेंगे तो अफरा-तफरी और हड़बड़ाहट पैदा हो सकती  है,जो आपकी परीक्षा के लिए बेहद नुकसानदायक हो सकता है। और आपको भय और हड़बड़ाहट से हर हालत में दूर रहना है। आपको हमेशा पल-पल आत्मबल बनाए रखना है।

परीक्षा भवन पहुँच कर, नोटिस बोर्ड में देख कर, अपना कमरा नंबर व रोलनंबर ध्यानपूर्वक देखकर पता कर लें। साथ ही कमरा व रोलनंबर का लोकेशन पता कर लेवें। कमरा खुलने पर अपनी जगह पर जाकर बैठ जाएँ। ध्यान रखें कि कोई अवांछित सामग्री न रखें।

जब आपको इन्फॉर्मेशन सीट प्राप्त हो जाये तो बहुत सावधानी और इत्मीनान के साथ खानापूर्ति कर लीजिये। हर हालत में आपको गलती से बचना है। किसी भी समय अनावश्यक गलतियाँ आपके आत्मबल को तोड़ने का कारण बन सकती हैं और इससे आपको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। खानापूर्ति के बाद प्रश्न-पत्र प्राप्त होंगे।

प्रश्न-पत्र मिल जाने पर आप प्रश्न-पत्र को तीन चरणों में  हल कीजिये। क्रमशः प्रश्न क्रमांक एक से प्रश्नों को बहुत सावधानी पूर्वक पढ़िए और इत्मीनान के साथ उत्तर देते जाइये। कभी-कभी प्रश्न को सरसरी निगाह से देखने पर वह बहुत सरल दिखाई पड़ता है। और फट से लगता है कि इसका उत्तर 'अमुक ' नंबर का विकल्प है। आप फट से उस नंबर  कायम कर देते हैं। परन्तु दर असल वह उत्तर गलत होता है। ऐसा आपके अति उत्साह और अति उतावलेपन के कारण होता है। जब आप परीक्षा भवन से बाहर आते हैं तो आपको पता चलता है कि वह उत्तर गलत था। अतः आप बड़े धैर्य और सावधानी के साथ, और पूरा प्रश्न पढ़ने के बाद, और जरा सोचने के बाद ही उत्तर कायम करें।

प्रश्न हल करने का प्रथम चक्र: 

इस तरह से सरलता से जितने उत्तर आपसे आते जाएँ उन प्रश्नों को पूरा कर डालें। उन पर जरा-जरा सा पेंसिल से निशान लगाते जाएँ। परन्तु जिन प्रश्नों के उत्तर आपको बिलकुल न आएँ उन पर व्यर्थ में समय की बर्बादी बिलकुल ही न करें। अनुमान है कि आप एक घण्टे में  प्रथम चक्र पूरा कर डालेंगे। और यह भी अनुमान है कि इस बार आप लगभग 75-80 तक प्रश्न हल कर डालेंगे। अब आपके 20-25 प्रश्न अनुत्तरित बचे होंगे। जिन्हें आपको दूसरे चरण में हल करना है।

प्रश्न हल करने का द्वितीय चक्र: 

इस बार आपको बिना निशान वाले अनुत्तरित प्रश्नों पर जाकर उसी तरह से इत्मीनान के साथ प्रश्नों के उत्तर ढूंढना  है। इस बार चूँकि आपके 20-25 प्रश्न ही शेष रह गए हैं, और समय 1 घण्टे शेष है, अतः आपके अंदर पलने वाला अवांछित तनाव खत्म हो चुका होगा। और इस बार कुछ और प्रश्नों के सही उत्तर आपको सूझ सकते हैं। ऐसे उत्तरों को हल करके उन पर निशान लगा दें। हाँ, इस बार आपको एक नई तकनीक अपनानी है। वह यह कि जिन प्रश्नों के उत्तर आपको न आ सकें बड़ी सावधानी के साथ उनके ऐसे उत्तरों  को ढूंढ़िये जिनके बारे में लगे कि अमुक उत्तर तो बिलकुल नहीं हो सकता और उसे अलग करने के बाद आपके पास तीन विकल्प बचे होंगे। अब उनमें से भी एक नकरात्मक उत्तर को अलग कीजिये। फिर बचे हुए दो विकल्पों में से एक नकारत्मक उत्तर को अलग कीजिये। इस प्रक्रिया के बाद बचा हुआ उत्तर ही सही उत्तर होगा। उसे कायम कर दीजिये। इसी तरह से प्रश्न हल करते हुए आगे बढ़ते जाइये। जिन प्रश्नों के विषय में आपको कोई भी अनुमान न लगे उन्हें तीसरे चक्र के लिए छोड़ दीजिये। हल किये गए प्रश्नों पर उसी तरह से निशान लगाते जाइये। इस बार उम्मीद है कि आपके 10-15   प्रश्न और भी हल  जाएँ। जिससे  आपके पास 10-15 तक प्रश्न और आधा घंटे टाइम बचा होगा। और आपका प्रेशर बिलकुल ही ख़त्म हो चुका होगा।  


प्रश्न हल करने का तृतीय चक्र: 

अब आप प्रश्न-पत्र हल करने का तीसरे चक्र का कार्य प्रारम्भ कीजिये। इत्मीनान के साथ प्रश्नों को पढ़ते हुए उत्तर ढूँढिये। इस बार भी दूसरे चक्र की प्रणाली अपनाइये। यदि आपको किसी प्रश्न का उत्तर सूझ जाये तो उसे अंकित कर दीजिये। अन्यथा आप आन्सर शीट पर निगाह डालिये। उस पर जिस क्रमांक पर अधिक उत्तर अंकित दिखाई पढ़ें उसी क्रमांक को आप सारे अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर के लिए कायम कर  दें। यदि आपको उत्तर-पत्रक पर ऐसा कुछ समझ में न आए तो आप या तो क्रमांक 'बी' को या तो क्रमांक 'सी' को अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर के लिए अंकित कर दीजिये। सभी के लिए एक  ही क्रमांक का उपयोग कीजियेगा। भूल कर भी अलग-अलग क्रमांकों का उपयोग करना बेहद नुकसान दायक हो सकता है।  

परिणाम:

प्रश्नों के हल करने की इस प्रक्रिया से आपको आपके पास उपलब्ध ज्ञान के अधिकतम अंक प्राप्त होंगे। और आपके चयन के अवसर काफी बढ़ जायेंगे। यदि आप यह तकनीक नहीं अपनाते तो आपके अंक बहुत काम रहेंगे।
प्रेरणा: 
सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला की यह कविता अवश्य ध्यान में रखें-

लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है ।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।

डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है ।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो ।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम ।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। 
लेखक: महेशचंद्र राही,
तक्षशिला साहित्य पब्लिकेशंस,आमडीह,
ब्योहारी,जिला-शहडोल (मध्यप्रदेश)

लेखक के सम्बन्ध में: आप ख्यातिलब्ध साहित्यकार हैं. आपकी  बहुत-सी रचनाएँ देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं. आपको इस क्षेत्र में बहुत-सारे पुरूस्कार व  सम्मान प्राप्त है. वर्तमान में आपके द्वारा हिन्दी फिल्मों की  पटकथा लिखी जा रही है तथा आपके निर्देशन में फ़िल्में तैयार की जा रही हैं. इसके साथ ही आपके मार्गदर्शन में तक्षशिला साहित्य पब्लिकेशन के द्वारा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए पुस्तकों का प्रकाशन किया जा रहा है. यह पुस्तकें इण्डिया मार्ट और अमेजन जैसी प्रतिष्ठित साईटों पर उपलब्ध है. प्रस्तुत आलेख उनके ब्लॉग से साभार लिया गया है. इस सम्बन्ध में और  अधिक लेख-सामग्री के लिए  कृपया उनके ब्लॉग में जाने के लिए यहाँ क्लिक करें.

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