शनिवार, सितंबर 07, 2019

मन की बातें:सतीश कुमार की कविता




मन की बातें 
                  सतीश कुमार सोनी 
देख चिड़ियों का यह रैन बसेरा,
लगता है मुझको अपना ही डेरा।

इनको देख बड़ा मन मुस्काए,
काश! मुझको फिर से ऐसा बचपन मिल जाए।

चीं-चीं करके दाना खातीं,
लगता है मुझको यह समझातीं।

आंख खुले और झट उड़ जाएं,
काश! मुझको फिर से ऐसा बचपन मिल जाए।

चिड़ियों का यह देख हौसला,
मेरा मन मुझसे यह बोला।

चल अब कुछ करके दिखलाएं,
सारे सपने सच कर जाएं।
काश! मुझको फिर से ऐसा बचपन मिल जाए।



रचना:सतीश कुमार सोनी
जैतहरी, जिला-अनुपपुर (म.प्र.)

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12 टिप्‍पणियां:

  1. मधुर शब्दो की जादूगरी,,, नमन हर एक पंक्ति को,,,

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  2. काव्य जगत में स्वागत है - 👆👆👌👌
    मनभावन रचना

    जवाब देंहटाएं
  3. उत्तर
    1. धन्यवाद मित्र।
      मेरा हौसला बढ़ाने के लिए शुक्रिया। कृपया कमेंट के साथ अपना नाम भी लिखें या ब्लॉग पर अपने ईमेल से साइन अप करें।

      हटाएं

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