ऐसा भ्रम तुम नहीं पालो
आया था जो वो पल ,
वो पल तुम सम्हालो
आएगा फिर से वो पल
ऐसा भ्रम तुम नहीं पालो
है अँधेरा जो मन का
वो अँधेरा तुम हटा लो
फिर से जल उठेगा दीया
ऐसा भ्रम तुम नहीं पालो
तुमने मुझको बुलाया है जैसे
ऐसे किसी को फिर बुला लो
दौड़ा आएगा कोई तुम तक
ऐसा भ्रम तुम नहीं पालो
सुनाई थी जो मजबूरी मुझको
जरा तुम इसको भी सुना लो
मरहम लगा देगा कोई
ऐसा भ्रम तुम नहीं पालो
पूजा करो तुम चाहे जितनी
चाहे जितना अश्क बहा लो
जीवन संवारेगा कोई और
ऐसा भ्रम तुम नहीं पालो
तुम माँझी बनाओ खुद को
खुद ही राह बना डालो
तुम्हारे रोने पर न हँसे जमाना
ऐसा भ्रम तुम नहीं पालो
रचना:सुरेन्द्र कुमार पटेल
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सुंदर कविता है।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी. ऐसे ही पधारते रहियेगा.
जवाब देंहटाएंअच्छी पंक्तियां सर......
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत धन्यवाद अनुज।
जवाब देंहटाएंआपकी कविता सराहनीय है सर
जवाब देंहटाएंबेहतरीन कविता
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