शुक्रवार, सितंबर 13, 2019

मेरे दिल में छुपी है एक बात:सतीश कुमार की कविता

मेरे दिल में छुपी है एक बात
सतीश कुमार
मेरे दिल में छुपी है एक बात,
जो मैं ना कह पाया दिन रात
कि मां मैं तुमसे  कितना प्यार करता हूं।

मुझे सुलाने, मुझे खिलाने जो जगती थी सारी रात,
उससे मैं न कह पाया यह बात।
कि मां मैं तुमसे  कितना प्यार करता हूं।

तुमने की मेरी हर जिद पूरी,
रखकर अपनी ख्वाहिश अधूरी।
चलती थी तुम मेरे साथ,
पर मैं न कह पाया यह बात।
कि मां मैं तुमसे  कितना प्यार करता हूं।....

जब भी थी जरूरत तुम्हारी,
तुम  खड़ी थी मेरे साथ।
चाहे हो दिन का उजाला या हो आधी रात,
पर मैं ना कह पाया यह बात।
कि मां मैं तुमसे  कितना प्यार करता हूं।....

मुझ को सही राह दिखाने जब भी उठाया है तुमने हाथ,
घर कर गई है दिल में यह बात।
ऐसा लगा जैसे मै पा लूंगा सारी कायनात,
पर मैं ना कह पाया है बात।

कि मां मैं तुमसे  कितना प्यार करता हूं।..........
मैं तुमसे  बहुत प्यार करता हूं, मैं तुमसे  बहुत प्यार करता हूं।...

शब्द ए हकीकत
सतीश कुमार

यही रूप है, यही रंग है

यही वेश है, यही है मेरा ढंग।

करना है तो इसे पसंद कर,

वरना मत चल मेरे संग।

तुझ पर है अर्पण सब कुछ मेरा,
मत होने दे इसको 
भंग।
चलना है तो ऐसे ही चलदे,
वरना मत चल मेरे संग।
खोकर मुझ में रम जा तू भी,
जैसे इस शरीर के अंग।
बजते हों सुरताल में जैसे,
ढोलक संग मृदंग।
चलना है तो ऐसे चले दे वरना मत चल मेरे संग ...
रचना:सतीश कुमार सोनी, 
जैतहरी, जिला अनूपपुर (मध्य प्रदेश)

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