ऐसा नही है कि आज़ादी जीत ली
और संघर्ष करने को कुछ नही है
भारत एक लोकतंत्र बन गया
और बनाने को कुछ नही है
संविधान मिल गया
और पाने को कुछ नही है
जो जीता गया है
उसे बचाये रखने का संघर्ष अभी भी है
जो बन गया है
उसे बनाये रखने की जिम्मेदारी अभी भी है
जो अथक प्रयासों से मिला है
उसे संजोये रखने की संकल्पना अभी भी है
क्योंकि सभी के प्रतिनिधित्व पर
एकाधिकारवाद का षणयंत्र अभी भी है
लोकतंत्र को भीड़तंत्र से खतरा अभी भी है
संविधान पर रूढ़िवादियों की टेढ़ी नजर अभी भी है
ऐसा नही है कि आजादी जीत ली
और संघर्ष करने को कुछ नही है
क्योंकि जीवन स्वयं में एक युद्ध सा है
इसलिए संघर्ष करने को बहुत कुछ अभी भी है।-ई. प्रदीप
उकसा, ब्योहारी
निवर्तमान- नागपुर, महाराष्ट्र
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