●इश्क़ की बात करते हैं●
घरों में क़ैद होकर भी इश्क़ की बात करते हैं
वो हमें याद करते हैं, हम उन्हें याद करते हैं।
अँधेरा हटेगा सुबह होगी फिर दीदार होगा
एक दूसरे की सलामती की फरियाद करते हैं।
ख़ौफ़ मर्ज़ का है पर ख़्वाबों में ज़ोर नहीं इसका
हम नींद की गहराइयों में ही मुलाक़ात करते हैं।
क़यामत की धुंध में खोना मुमकिन नहीं हमारा
हम मोहब्बत वाले हैं, ख़ुद को चराग़ करते हैं।
-अमलेश कुमार
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